Fake deed case: Secrets of fraud locked in volumes 15 days SIT investigation questions are being raised

आगरा सदर तहसील निबन्धन भवन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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आगरा में अरबों रुपये की जमीनों पर भूमाफिया काबिज हो गए। अकूत संपत्तियां अर्जित कर लीं लेकिन एसआईटी रजिस्ट्री दफ्तर के रिकार्ड रूम में नहीं घुस सकी। यहां जिल्दों में जमीनों की जालसाजी के राज बंद हैं।

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एसआईटी की जांच सिर्फ उन्हीं फर्जी बैनामों तक सिमट कर रही गई है, जिनकी शिकायतें मिलीं। 8 बैनामों में गड़बड़ियों की आशंका पर 21 जनवरी को शाहगंज में केस दर्ज हुआ था। इससे पूर्व ही सदर पुलिस प्रशांत और अजय सिसौदिया को फर्जी बैनामा में जेल भेज चुकी थी। सदर एसीपी के नेतृत्व में ही एसआईटी गठित की गई जबकि मुकदमा लोहामंडी सर्किल में दर्ज हुआ था। ऐसे में एसआईटी गठन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। साथ ही वह रिकार्ड रूम में जिल्दों को नहीं खंगाल पाई। इसमें 10 हजार से अधिक जिल्द हैं जिनमें 100 साल के बैनामों का रिकार्ड दर्ज है।

तहसील के अधिवक्ताओं का कहना है कि एक-एक जिल्द अगर खंगाली जाए तो प्रदेश का सबसे बड़ा बैनामों का फर्जीवाड़ा राज खुल जाएगा। इससेनेता, अफसर और भूमाफिया के चेहरे तक बेनकाब हो सकते हैं।

सरपरस्तों तक नहीं पहुंच पा रहे कानून के हाथ

फर्जी बैनामा कांड और बेशकीमती जमीनों पर कब्जे तब्दील कराने के खेल में सत्ताधारी दल के माननीय भी शामिल हैं। इनमें छुटभैया नेता से लेकर कई पदाधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं। इनकी सरपरस्ती में ही कब्जों व खरीद-फरोख्त का खेल चल रहा है।

एक-एक जिल्द की होगी जांच

जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि कितनी जिल्दों से पन्ने फटे हैं इस संबंध में एसआईटी को एक-एक जिल्द की जांच के निर्देश दिए हैं। उन्हें एक विशेषज्ञ भी दिया गया है। – , 

 



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