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आगरा सदर तहसील – फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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आगरा सदर तहसील स्थित रजिस्ट्री दफ्तर के रिकॉर्ड रूम में हुए फर्जी बैनामा कांड में सहायक महानिरीक्षक (एआईजी) एसके सिंह व रिकाॅर्ड रूम प्रभारी सब रजिस्ट्रार नीतू गोला के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई हो सकती है। दोनों अधिकारियों पर पर्यवेक्षण में में लापरवाही का आरोप है। इस संबंध में डीएम ने शासन को रिपोर्ट भेजी है। एआईजी और सब रजिस्ट्रार के अलावा जिला निबंधक भी फंस सकती हैं।
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जिला निबंधक का प्रभार एडीएम वित्त एवं राजस्व पर है। जिला निबंधक ही रिकाॅर्ड रूम की नोडल प्रभारी हैं। हर तीन माह पर जिला निबंधक को रिकाॅर्ड रूम का सत्यापन करना होता है। लेकिन, केंद्रीय अभिलेखागार का जिला निबंधक ने सत्यापन नहीं किया। इधर, रिकाॅर्ड रूम में जिल्द और खंड से मूल बैनामा, वसीयत व इकरारनामा की प्रतियां गायब हो गईं। मूल प्रतियों की जगह भूमाफिया गैंग में शामिल गुर्गों ने नकली दस्तावेज जिल्द में जोड़ दिए।
इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। सात लोग जेल जा चुके हैं। दूसरी एफआईआर जिसमें आठ बैनामों में फर्जीवाड़ा हुआ उसकी जांच एसआईटी कर रही है। तीन दिन से एसआईटी रोज रजिस्ट्री दफ्तर में रिकाॅर्ड खंगाल रही है। दूसरी ओर रजिस्ट्री दफ्तर के रिकाॅर्ड रूम में दस्तावेजों से छेड़छाड़, बाहरी व्यक्तियों की आवाजाही व पर्यवेक्षण दायित्वों को निभाने में लापरवाही बरतने पर डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने शासन को एआईजी एसके सिंह, सब रजिस्ट्रार नीतू गोला के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की है।
प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन अमित गुप्ता का कहना है कि डीएम की रिपोर्ट के आधार पर लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। शुरू होगा दूसरे चरण का डिजिटलाइजेशन : प्रमुख सचिव ने बताया कि रिकाॅर्ड रूम की जिल्दों का दूसरे चरण का डिजिटलाइजेशन आगरा से शुरू होगा। दूसरे चरण में 1990 से पूर्व हुए बैनामा व जिल्द का रिकार्ड स्कैन होंगे। अब तक 2017 से 2002 तक का रिकाॅर्ड डिजिटल किया जा रहा है। इसके लिए सदर तहसील में डिजिटलाइजेशन सेंटर बना है। यहां एक फर्म को रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन का कार्य मिला है।