
आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पी आर मिश्र
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प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पी आर मिश्र का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार की रात 8.25 बजे मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। डॉ. मिश्र को बेचैनी व सीने में दर्द की शिकायत के चलते शाम करीब 5.00 बजे मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने दिल का दौरा बताकर चिकित्सा शुरू की। उनको तीन स्टंट डालने में भी कामयाबी मिल गई पर इसी बीच उन्हें दोबारा अटैक पड़ा और उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा व एक बेटी हैं। शनिवार को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
डॉ. पीआर मिश्र ने बलरामपुर अस्पताल, लखनऊ के सीनियर आर्थोपेडिक सर्जन के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर स्वतंत्र रूप से लखनऊ ही नहीं बल्कि प्रदेश के कोने-कोने से आने वाले मरीजों की चिकित्सा में अपना पूरा जीवन लगा दिया। वह लगभग 35-40 वर्षों तक लखनऊ के श्रेष्ठतम आर्थोपेडिक सर्जन में से एक रहे।
डॉ पाआर मिश्र की प्रतिष्ठा लखनऊ के सर्वाधिक सम्मानित सर्जन के रूप में लगभग 4 दशक तक अनवरत विद्यमान रही। यह एक सुखद संयोग था कि डॉ. मिश्र के पिता स्व. रामनगीना मिश्र एक प्रखर राजनेता थे जिन्होंने लोकसभा के 6 बार के सांसद के रूप में जनता-जनार्दन की सेवा की।
डॉ. मिश्र अपने पिता के प्रति इतने भक्ति-भाव से भरे रहे कि उन्हें पिता के निधन के बाद से यह संसार निस्सार लगने लगा था। डॉ. मिश्र अपने ससुराल पक्ष से भी बहुत समृद्ध थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पण्डित कमला पति त्रिपाठी की नातिन श्रीमती अंजना मिश्रा उनकी धर्मपत्नी हैं।
डॉ. मिश्र एक प्रख्यात चिकित्सक के अतिरिक्त एक यशस्वी समाजसेवी भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को असहाय और विपन्न रोगियों की सेवा में खपा दिया। वह उन गिने चुने चिकित्सकों में थे जो हर गुरूवार को मरीजों को पूरी तरह मुफ्त देखते थे। यही नहीं, अपने मोहल्ले नजरबाग के लोगों से भी वह कभी कोई फीस नहीं लेते थे।
शुक्रवार शाम लगभग 4 बजे डॉ. मिश्र को हृदय में कुछ बेचैनी महसूस हुई जिसके बाद उन्हें तुरंत मेदांता अस्पताल के हृदय रोग विभाग में भर्ती कराया गया। वहां उनकी ऐन्जियोग्राफी और ऐन्जियोप्लास्टी भी की गई परन्तु चिकित्सकों के प्रयास के बाद भी उनके प्राण नहीं बचाए जा सके। डॉ. मिश्र की दो संतानें हैं, पुत्र सौमित्र और पुत्री अमृता। डॉ मिश्र का अंतिम संस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर दिनांक 30 मार्च को शाम 5 बजे संपन्न होगा।