– केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का ड्रोन किसानों के लिए सप्ताह में एक दिन उड़ता है

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– कर्मचारियों की कमी से नहीं हो पा रहा ड्रोन का सही इस्तेमाल

संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। बुंदेलखंड में विज्ञान और तकनीक के जरिए किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को कृषि ड्रोन दिया गया था। विश्वविद्यालय की उदासीनता के चलते यह ड्रोन अभी तक किसानों के ज्यादा काम नहीं आ सका है।

दरअसल, 15 किलो वजनी कृषि ड्रोन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए तीन लोगों की जरूरत होती है। ऐसे में यदि एक भी व्यक्ति छुट्टी पर हो तो ड्रोन शोपीस बनकर रह जाता है। विश्वविद्यालय ने इसका अजीबोगरीब रास्ता निकाला और इसे किसानों के लिए सीमित कर दिया है। यह ड्रोन सप्ताह में एक दिन (शनिवार) 20 मिनट के लिए किसानों के बीच ले जाया जा रहा है। किसान लगातार अपने खेतों में ड्रोन लाने का आग्रह कर चुके हैं, लेकिन ड्रोन उनकी पहुंच से बहुत दूर है।

ड्रोन एक बार ही गया ललितपुर

कृषि विश्वविद्यालय को मिले ड्रोन का लाभ किसानों तक किस तरह पहुंच रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संस्थान में आने के बाद यह ड्रोन एक बार ही ललितपुर पहुंचा है। इसके बाद से ललितपुर के किसानों ने यह ड्रोन कभी नहीं देखा।

ये बोले किसान

सकरार के किसान अर्जुन पाल का कहना है कि वह दो बार केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय जा चुके हैं। पहली बार गए तो किसी ने यहां यह भी नहीं बताया कि ड्रोन के लिए बिल्डिंग में कहां जाना है।

रामनगर के किसान उदय सिंह जादौन मंगलवार को कृषि विश्वविद्यालय पहुंचे थे। कहा कि वह चाहते थे कि वह भी अपने खेत में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव कराएं। इसके लिए समय मांगने आए थे, लेकिन संस्थान में पता चला कि ड्रोन आसानी से नहीं मिल पाएगा।

वर्जन

ड्राेन को कहीं भी ले जाने के लिए तीन कर्मियों की आवश्यकता होती है। हम सप्ताह में एक दिन ड्रोन को किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ले जाते हैं। यदि किसी भी किसानों को प्रदर्शन कराना है तो वह संपर्क कर सकता है।

आशुतोष शर्मा, कृषि वैज्ञानिक।



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