फतेहपुर। भाजपा ने इस बार ओबीसी नेता मुखलाल पाल को जिले की कमान सौंपी है। तीन बार ब्राह्मण जिलाध्यक्ष रहने के बाद भाजपा ने ओबीसी पर दांव लगाया।
शहर के मुराइन टोला निवासी मुखलाल पाल वर्तमान में कानपुर-बुंंदेलखंड के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और राज्य पिछड़ा आयोग के सदस्य भी हैं। इनकी राजनीति की शुरुआत भारतीय जनता युवा मोर्चे के जिलाध्यक्ष पद से हुई थी। इसके बाद मेन बॉडी में दो बार महामंत्री और एक बार उपाध्यक्ष भी रहे।
मुखलाल पाल को लंबा राजनीतिक अनुभव है। पूरे तीन साल की पारी खेलने वाले भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष के साथ अन्य कई नेता जिलाध्यक्ष के लिए भरसक प्रयास कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार को सूची जारी होते ही मामले का पटाक्षेप हो गया। 1980 से अब तक कुल 13 पूर्व जिलाध्यक्षों में नौ ब्राह्मण, एक अनुसूचित जाति और दो ओबीसी के हैं। मुखलाल पाल ओबीसी कोटे से तीसरे अध्यक्ष हैं। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में मुखालाल पाल के सामने कड़ी चुनौती भी होगी।
इनसेट
ये हैं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष
महेंद्रनाथ बाजपेयी, अमरनाथ चौरसिया, मनोज शुक्ला, हरिनंदन दुबे, उमाशंकर त्रिपाठी (रिपीट), रमाकांत त्रिपाठी, पूर्व विधायक करण सिंह पटेल, विधायक कृष्णा पासवान, प्रभूदत्त दीक्षित (रिपीट), पूर्व मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह, दिनेश बाजपेयी, प्रमोद द्विवेदी, आशीष मिश्रा।
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आशीष पर भारी पड़ी निकाय चुनाव में मिली हार
क्रासर
– नेताओं का विरोध भी पड़ा भारी
संवाद न्यूज एजेंसी
फतेहपुर। सदर नगर पालिका सीट से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे प्रमोद द्विवेदी की पराजय ने आशीष मिश्रा के दोबारा जिलाध्यक्ष बनने की राह में रोड़ा अटका दिया।
आशीष मिश्रा के जिलाध्यक्ष पद पर खतरा उस समय से मंडराने लगा था, जब नगर पालिका अध्यक्ष पद की टिकट के लिए उनका नाम दावेदार के तौर पर सामने आया था। उन्हें टिकट तो नहीं मिला लेकिन निकाय चुनाव में भितरघात का आरोप जरूर उन पर लग गया। जिलाध्यक्ष की कुर्सी हिलने का अहसास आशीष मिश्रा को हो चुका था। ऐसे में उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के साथ दिल्ली में आलाकमान के पास पहुंचकर कुछ समझाने का प्रयास तक किया, फिर भी फेरबदल हो ही गया। शुक्रवार को प्रदेश नेतृत्व ने मुखलाल पाल को जिलाध्यक्ष बना दिया। (संवाद)