फतेहपुर। हत्या के मामले में पुलिस की विवेचना कोर्ट में नहीं टिकी। चार्जशीट में शामिल किए गए तथ्य और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भिन्नता के साथ ही गवाहों के समर्थन न करने से हत्यारोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया। इस मामले में उसे साढ़े चार साल जेल में बिताने पड़े।
सुल्तानपुर घोष थानाक्षेत्र के मथुरादासपुर निवासी श्यामबाबू रैदास की एक अप्रैल 2019 की रात हत्या कर दी गई थी। उसका शव लाडलेपुर गांव के गुड्डू उर्फ महबूब के तालाब से रस्सी से बंधा बरामद हुआ था। मामले में पुलिस ने लाडलेपुर गांव के कामता लोधी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कामता हत्या के बाद से जेल में निरुद्ध चल रहा था। पैरवी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि मामला स्पेशल जज एससी-एसटी की कोर्ट में विचाराधीन था। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में कामता लोधी को बरी किया है।
बताया कि प्रकरण में पुलिस ने रस्सी से बांधकर पीटकर हत्या किए जाने की चार्जशीट दाखिल की थी। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रस्सी की रगड़ का कोई निशान नहीं मिला। पोस्टमार्टम में सिर पर चोट होना पाया गया। सिर पर चोट किसी हथियार से पहुंचाई गई लेकिन विवेचक ने आलाकत्ल भी बरामद नहीं किया। गवाहों ने पुलिस के बयानों का समर्थन नहीं किया। जिसके आधार पर कोर्ट ने कामता लोधी को हत्या के आरोप से बरी किया है। करीब साढ़े चार साल तक कामता जेल में रहा है। विवेचना तत्कालीन हथगाम थानेदार अवधेश मिश्रा ने की थी।