फतेहपुर। एचआईवी ग्रसित गर्भवती को जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम से कर्मचारियों ने भगा दिया। महिलाओं के सहयोग से अस्पताल के गेट पर पर्दे की आड़ में प्रसव कराया गया। इसके बाद परिजनों ने हंगामा कर दिया। मामला बढ़ता देखकर सीएमएस और कर्मी पहुंचे। किसी तरह जच्चा और बच्चा को वार्ड में भर्ती कराया गया। दोनों की हालत में सुधार है। सीएमएस ने जांच शुरू कर दी है।

खागा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव की प्रसूता (28) प्रसव के लिए हरदों सीएचसी में मंगलवार सुबह भर्ती हुई। सीएचसी से जिला महिला अस्पताल रेफर किया गया। पति ने बताया कि कर्मियों ने पत्नी की जांच रिपोर्ट में एचआईवी संक्रमित पाकर नर्सिंग होम ले जाने के लिए कहा। उसने भर्ती रखने की बात कही तो इस पर कर्मी भड़क उठे।

वह मजबूरी में पत्नी को लेकर आशा बहू के साथ तांबेश्वर मंदिर रोड स्थित एक नर्सिंग होम पहुंचा। एचआईवी होने पर नर्सिंग होम से जिला महिला अस्पताल भेज दिया गया। यहां पत्नी को भर्ती नहीं किया गया और लेबर रूम से भगा दिया गया। प्रसव पीड़ा तेज होने पर बच्चे का सिर बाहर आने लगा। अस्पताल गेट पर ही दूसरी महिलाओं के सहयोग से कपड़ों का घेरा बनाकर प्रसव कराया गया।

मामले की सूचना पर सीएमएस डाॅ. रेखारानी पहुंचीं। इसके बाद कर्मी जच्चा-बच्चा को अस्पताल ले गए। पति ने बताया कि वह आंध्र प्रदेश में मजदूरी करता है। उसकी पत्नी को करीब आठ साल से एचआईवी है। पत्नी को तीसरा बच्चा हुआ है। बड़ा बेटा करीब नौ साल का है। सीएमएस ने बताया कि अस्पताल के रजिस्टर में महिला के भर्ती होने की इंट्री है। हरदों से देर में रेफर की गई थी। उसे मल्टीग्रेविडा है। ऐसी हालत में दर्द बढ़ने पर बच्चा कभी भी हो सकता है। पता चला है कि आशा और परिजन महिला को बाहर ले गए थे, जहां प्रसव हो गया। मामले की जांच की जा रही है।



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