फोटो 14- कब्र की खुदाई कराता प्रशासन। संवाद

कब्र खोदकर ढाई साल बाद महिला का कंकाल निकाला

क्रासर

– महिला की 26 मार्च 2021 को हुई थी मौत

– कोर्ट के आदेश पर 21 जून 2022 को दर्ज हुआ था दहेज हत्या का मुकदमा

संवाद न्यूज एजेंसी

बहुआ। दहेज हत्या के मामले की जांच में जुटी पुलिस अब हरकत में आई है। पुलिस ने कब्र खोदकर ढाई साल बाद मौत का कारण जानने के लिए कंकाल निकलवाया है। उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। मौके पर मजिस्ट्रेट और फोरेंसिक टीम मौजूद रही।

ललौली थानाक्षेत्र के मुत्तौर गांव निवासी तुफैल कुरैशी का 15 दिसंबर 2013 को चित्रकूट के रैपुरा थानाक्षेत्र के भौरी गांव निवासी हलीम कुरैशी की बेटी रहीशा (35) के साथ निकाह हुआ था। मुत्तौर में रहीशा की 26 मार्च 2021 को संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। ससुरालीजनों ने शव को मुत्तौर स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया था। मृतका की मां इमामुन ने आरोप लगाया था कि ससुरालीजनों ने न तो शव का पोस्टमार्टम कराया और न ही घटना की जानकारी उन लोगों को दी। दहेज के खातिर गला दबाकर हत्या करने की आशंका जताई थी।

महिला आयोग, एसपी, थाने में शिकायत की थी। कार्रवाई न होने पर कोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट के आदेश पर ललौली पुलिस ने 21 जून 2022 को दामाद तुफैल कुरैशी, मृतका की सौतेली बेटी अनीशा, मोहम्मद इरफान, मुन्नी उर्फ सोमवती पत्नी शिवमंगल के खिलाफ दहेज हत्या और शव गायब करने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था।

प्रकरण की जांच लंबित थी। प्रभारी निरीक्षक संतोष सिंह ने मौत के कारण की पुष्टि के लिए डीएम से रहीशा की कब्र खुदवाकर शव का पोस्टमार्टम परीक्षण कराने की अनुमित मांगी। डीएम के आदेश पर मजिस्ट्रेट के रूप में तहसीलदार देवेंद्र कुमार, नायब तहसीलदार अरविंद कुमार, राजस्व निरीक्षक व फोरेंसिक टीम रविवार को कब्रिस्तान पहुंची। टीम की मौजूदगी में कंकाल निकाला गया। पुलिस ने इसे सुरक्षित कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। प्रभारी निरीक्षक संतोष सिंह ने बताया कि मौत का कारण स्पष्ट करने के लिए पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

इनसेट

पुलिस ने डेढ़ साल लंबित रखा मामला

पहले पुलिस रहीशा की मौत पर मायके पक्ष को टरकाती रही। किसी तरह वादी ने कोर्ट के आदेश पर 21 जून 2022 को दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाले रही। डेढ़ साल बाद पुलिस को मामले की विवेचना की याद आई। थाना स्तर पर पुलिस लापरवाही बरतती रही। वहीं, पर्यवेक्षण अधिकारियों की समीक्षा में भी मामले पर ध्यान न देना सवाल खड़े करता है।



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