औंग। खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी गंगा ने 15 और गांवों में बाढ़ ला दी। शुक्रवार तक देवमई और मलवां ब्लॉक के कुल 18 गांव पानी से घिर चुके हैं। बिंदकी फार्म, बेनीखेड़ा और जाड़े का पुरवा में 180 परिवार फंसे हुए हैं। इन तक सरकारी मदद नहीं पहुंची है। राहत शिविर में बचाव एवं राहत कार्य के इंतजाम अभी भी नाकाफी हैं।

गुरुवार शाम तक गंगा लाल निशान से चार सेंटीमीटर ऊपर बह रही थीं। भिटौरा बाढ़ मापक केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार सुबह तक गंगा का जलस्तर आठ सेंटीमीटर और बढ़ गया। बेनीखेड़ा गांव में 40, बिंदकी फार्म गांव के 60 और जाड़े के पुरवा के 80 परिवारों पर बाढ खतरा मंडरा रहा है। इन तीनों गांवों के 180 परिवारों को सुरक्षित निकालने की जिला प्रशासन के सामने कड़ी चुनौती है। किसानों के मवेशियों के लिए चारे और बााढ़ से घिरे ग्रामीणों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था अभी तक शुरू नहीं हुई है।

हालांकि शुक्रवार को पीएचसी गोपालगंज की टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंची। सदनहा के आगे जलभराव होने से टीम ने यहीं पर कैंप लगाकर ग्रामीणों की जांच की और दवा वितरित की। टीम में डॉ. मोनिका, हेल्थ सुपरवाइजर राजेंद्र अवस्थी, लैब असिस्टेंट दिवाकर, डॉ. जावेद शामिल रहे। पानी और बढ़ने के कारण बिंदकी फॉर्म के ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थान पर गांव बसाने की मांग की है। ग्रामीणों के मुताबिक, उन्हें हर साल बाढ़ से लाखों की क्षति उठानी पड़ती है। चार साल पहले घास-फूस, बांस-बल्ली के सहारे तटबंध बनाया गया था। बोरी में बालू भरकर कटान रोकने का प्रयास किया गया था, लेकिन गंगा और पांडु नदी के उफनाने से सब कुछ पानी में डूब गया। ग्रामीणों ने मांग की कि सरकार बिंदकी फार्म गांव के लोगों को दूसरी जगह जमीन मुहैया कराकर आवास उपलब्ध कराए। ताकि ग्रामीणों को स्थायी आवास मिल सकें।

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बोले ग्रामीण

फोटो-8-मोतीलाल

बिंदकी फॉर्म के मोतीलाल ने बताया 70 साल से बाढ़ से फसलों की बर्बादी और घर डूब जाने का खतरा देख रहे हैं। अब बच्चों को सुरक्षित स्थान पर सरकार घर बनाने के लिए जमीन दे, जिससे हर साल की विभीषिका से बचा जा सके।

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फोटो-9-अचल बहादुर

किसान अचल बहादुर ने बताया कि वह लोडर चालक हैं। हर साल बाढ़ की समस्या से काम पर दो-तीन महीने नहीं जा पाते हैं। खाने-पीने का संकट खड़ा हो जाता है। सुरक्षित स्थान पर गांव बस जाए, तो इस समस्या का स्थायी समाधान हो जाए।

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फोटो-10-रामकिशोर

रामकिशोर ने बताया कि फसलों का नुकसान हम बर्दाश्त कर लेते हैं, लेकिन पानी से घर परिवार डूबने को लेकर चिंतित हैं। गांव सुरक्षित स्थान पर बसाना ही एकमात्र समाधान है। जिला प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

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फोटो-11-मोनू

मोनू ने बताया कि काम के लिए शहरों में चले जाते हैं, लेकिन बाढ़ का पानी गांव को चारों तरफ भरा हुआ है। खतरे की वजह से दो-तीन महीने बर्बाद हो जाते हैं। सरकार सुरक्षित स्थान पर मकान बनाने के लिए जमीन आवंटित की जानी चाहिए।



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