फतेहपुर। जिले में जरूरतमंद लोगों को आवास देने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया। पात्र पक्के आवास के लिए अधिकारियों की चौखट पर नाक रगड़ते रहे, उधर 200 से अधिक अपात्रों को आवास की सूची में शामिल करके एक करोड़ 29 लाख रुपये से अधिक का बजट बांट दिया। मामले का खुलासा होने के बाद अब विभाग वसूली के लिए नोटिस जारी कर रहा है, लेकिन इसमें भी कई आवासों के नाम, पते ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं। ऐसे अपात्रों ने अधिकारियों के माथे पर पसीना ला दिया है।

जिले में 2016 से अब तक एक लाख छह हजार परिवार को प्रधानमंत्री आवासीय योजना (ग्रामीण) के तहत चयनीत किया गया है। इनमें 85 हजार को आवास की तीनों किस्तें दी जा चुकी है। वहीं, 7900 से अधिक लाभार्थियों को दूसरी व तीसरी किस्त का इंतजार है। इनमें 209 अपात्र भी शामिल हैं, जिन्हें पहली व दूसरी किश्त भेजी जा चुकी है। इन लोगों ने आवास निर्माण के नाम पर या तो सिर्फ खानापूरी की या फिर पूरी रकम ही डकार गए।

इस तरह से एक करोड़ 29 लाख 70 हजार रुपये का बजट सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से अपात्रों को दे दिया गया। शासन से जारी रिपोर्ट के बाद विभाग हरकत में आया। ऐसे अपात्रों को ढूंढ़ने के लिए ब्लाक स्तर पर अधिकारियों को दौड़ाया गया लेकिन इनमें से कई अपात्र ऐसे हैं, जिनका नाम, पता तक नहीं मिल रहा है। बैंक खाते की जानकारी के लिए दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। इससे ठिकाना ढूंढकर लिस्ट तैयार की जाएगी। इसमें विभाग के पसीने छूट रहे हैं, वहीं, कई अधिकारी से लेकर सचिव तक रडार पर हैं। योजना के तहत तीन किस्तों में 40-40 हजार रुपये मिलते हैं।

सचिवों से लेकर अधिकारियों तक पर सवाल

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत बीपीएल कार्ड धारक, कच्चा घर, तीन लाख रुपये से कम सालाना आमदनी के साथ कई अन्य मानक आवास के लिए तय किए गए हैं। आवास की पहली सीढ़ी सचिव है। वह इन मापदंडों में खरे उतरने वालों की सूची तैयार कर ब्लॉक कार्यालय भेजता है। यहां पर कागजातों की जांच पड़ताल होती है। इसके बाद जिला कार्यालय भेजा जाता है। यहां से सभी दस्तावेजों को जांचकर राज्य शासन को भेजा जाता है। इसके बाद शासन से राशि स्वीकृति होती है। सचिव से लेकर जिले तक अपात्रों को योजना में शामिल करना सवाल खड़े करते हैं।

बारिश में कच्चा मकान गिरने से गवां चुके जान

असोथर के बिलारीमऊ गांव में बारिश से 13 सितंबर को कच्ची कोठरी गिरने से युवक सोनू की मौत हो गई थी। इसी तरह ललौली के सातआना के जगदेईया, रीना और भूरा का कच्चा घर गिर गया था। सभी बाल बाल बचे थे, लेकिन गृहस्थी पूरी दबकर खराब हो गई थी। इसी तरह बारिश के दौरान कई जगह कच्चे घर ढहे और लोग घायल और बेआसरा हुए। हकीकत में इन जरूरतमंदों को आवास मिलता, तो एक जान और कई बेघर नहीं होते, लेकिन अपात्रों को सूची में डालकर पात्रों का हक मार लिया गया।

कोट

आवास योजना में अपात्र को पहली व दूसरी किस्त मिली हैं। उन्हें चिह्नित करके सूचीबद्ध किया जा रहा है। ब्लाक स्तर पर बीईओ को आवास की स्थित देखते हुए सत्यापन को कहा गया है। अपात्रों की आरसी काटकर रुपये की वसूली की जाएगी। फाइनल लिस्ट भी दो से तीन दिन में तैयार हो जाएगी।

– शेषमणि सिंह, परियोजना अधिकारी।

ये हैं आवास की प्रमुख शर्तें

– परिवार के पास पक्का आवास न हो, बीपीएल कार्डधारक हो।

– सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिए और तीन लाख रुपये सालाना से अधिक आय नहीं होनी चाहिए।

– उम्मीदवारों के पास दोपहिया, तिपहिया, चार पहिया और कृषि उपकरण नहीं होने चाहिए।



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