संवाद न्यूज एजेंसी, फतेहपुर

Updated Fri, 20 Oct 2023 12:14 AM IST

संवाद न्यूज एजेंसी

फतेहपुर। शहर में रेलवे लाइन किनारे बने सिद्धपीठ दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। दशकों पहले गंगा स्नान करने गए एक संत मां दुर्गा की मूर्ति लेकर आए थे। इसके बाद से मूर्ति वहां स्थापित हो गई और धीरे-धीरे जनसहयोग से वहां सिद्धपीठ भव्य दुर्गा मंदिर बन गया। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से दुर्गा माता के दर्शन करने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है।

शहर से गुजरी प्रयागराज रेलवे लाइन किनारे सिद्धपीठ दुर्गा माता मंदिर बना है। हर बार नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ जुटती है। पिछले करीब 14 साल से मंदिर की सेवा कर रहे पुजारी दीपेश्वर महाराज ने बताया कि मंदिर करीब 70 से अधिक साल पुराना है।बताते हैं कि दशकों पहले एक संत गंगा स्नान करने गए थे और वह अपने साथ दुर्गा माता की मूर्ति लेकर आए थे। इस दौरान पहले उन्होंने रेलवे लाइन के किनारे माता की मूर्ति रखी और इसके बाद वह मूर्ति अपने साथ ले गए, लेकिन कुछ दिनों के अंतराल में मूर्ति को रेलवे लाइन के किनारे ही रखा गया और वहां प्राण प्रतिष्ठा हुई। तब वहां एक मठिया रूपी कच्चा चबूतरा बनाया गया था। इसके बाद जनसहयोग से वहां भव्य सिद्धपीठ मंदिर बनाया गया। पुजारी ने बताया कि उनसे पहले करीब 32 सालों तक उनके चाचा मारकंडेय मुनि महाराज ने मंदिर की सेवा की। मंदिर की मूर्ति दिन में करीब चार बार रंग बदलती है। कभी माता रानी का क्रोध स्वरूप दिखने लगता है तो कभी वह मुस्कुराने लगती हैं। नवरात्र में माता का रोज श्रृंगार होता है। इस दौरान मंदिर में राम दरबार, शनिदेव मंदिर, हनुमान जी सहित कई देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित हैं।



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