फतेहपुर। इस दीपावली गायों के गोबर से बने 70 हजार दीपकों से शहर जगमगाएगा। इसके लिए कान्हा गोशाला में गायों के गोबर से दीपक बनाए जा रहे हैं। ये दीपक रंग बिरंगे के साथ खूबसूरत भी हैं।

नगर पालिका की कान्हा गोशाला में 70 नर समेत 558 गोवंश हैं। गोवंशों की देखरेख के लिए 10 कर्मचारी नियुक्त हैं। गोशाला में नर गोवंशों को अलग रखने की व्यवस्था है। दीपक बनाने में सिर्फ गाय का गोबर प्रयोग किया रहा है। गोशाला की साफ-सफाई और गोवंशों को चारा पानी की व्यवस्था के बाद दीपक बनाने का काम चल रहा है। गाय का गोबर एकत्र करके कर्मी दीपक बनाने में लग जाते हैं। डीएम श्रुति ने फिलहाल 70 हजार दीपक तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ये दीपक पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में सहयोगी होंगे और हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार गाय के गोबर की महत्ता भी बरकरार रहेगी।

गोशाला प्रबंधक सागर कहते हैं कि यह दीपक विशेष प्रकार की मिट्टी और गाय का गोबर मिलाकर तैयार किए जाते हैं। इसके बाद इनकी रंगाई होती है। रंगाई में समय ज्यादा लगता है। ऐसे में बिना कलर के दीपक अधिक बिक्री किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि गाय का गोबर वैक्टीरिया नाशक होता है। इसे जलाने के लिए भरे गए तेल से वैक्टीरिया निष्प्रभावी रहता है। इससे दीपक जलने के बाद भी प्रदूषण पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। गाय के गोबर से बनाए गए दीपक को आग में नहीं पकाया जाता, जिससे ईंधन से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके। ये दीपक बिना पकाए ही मजबूत होते हैं।

इनसेट…

गोशाला से होगी बिक्री

कान्हा गोशाला में ही गाय के गोबर से बने दीपकों की बिक्री होगी। दीपक सिर्फ लागत राशि में बिक्री किए जाएंगे। दीपक 25-25 की गत्ते की पैकिंग में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। हालांकि अभी तक दीपकों की कीमत निर्धारित नहीं की गई है।



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