औंग। गोधरौली के दूषित भूगर्भ जल व पर्यावरण प्रदूषण का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचने के बाद अधिकारी सतर्क हुए हैं। गुरुवार को उद्योग व पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की टीम गांव पहुंची। हैंडपंप, सबमर्सिबल समेत जल स्रोत के पानी का सैंपल लिया।

पर्यावरण विभाग से रामजस, आरएस सिंह और उद्योग विभाग के उपायुक्त चंद्रभान सिंह टेक्निकल टीम के साथ गोधरौली गांव पहुंचे। गांव के सभी तालाबों और हैंडपंपों के साथ ही सबमर्सिबल से पानी का नमूना लिया। आसपास सार्वजनिक और खेतिहर जमीन, तालाब, सड़क के किनारे पड़े केमिकल कचरे का भी नमूना लिया। ग्रामीणों से भूगर्भ जल दूषित होने का कारण जाना।

ग्रामीण राम भरोसे, राकेश, नरेश, पुल्ली, सुरेश, रामू निषाद समेत अन्य ने बताया कि फैक्टरियों के डंप केमिकलयुक्त कचरे के कारण भूगर्भ जल दूषित हुआ है। ठेकेदार अभी भी केमिकलयुक्त कचरा और जली भूसी फेंक रहा है। कहा कि 35 सालों से फैक्टरी सिर्फ कागजों पर बंद है, लेकिन अभी भी उसका कचरा भूगर्भ जल को नुकसान पहुंचा रहा है। उपायुक्त चंद्रभान सिंह ने बताया कि सभी तालाबों, हैंडपंपों के पानी का सैंपल लिया है। ग्रामीणों की गंभीर समस्या की आख्या उच्च न्यायालय भेजी जाएगी।

मालूम हो कि दूषित भूगर्भ जल व पर्यावरण प्रदूषण को लेकर उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर 10 अगस्त को आदेश दिया था कि भूगर्भ जल दूषित होने के कारक और कारण दोनों की जांच कर आख्या तीन सप्ताह में साक्ष्य के साथ प्रस्तुत की जाए।

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पंचायत भवन में बैठकर जायजा लेते रहे बीडीओ

ब्लॉक मलवां के खंड विकास अधिकारी राहुल मिश्रा गुरुवार को गोधरौली गांव पहुंचे। बीडीओ ने बताया कि जिलाधिकारी ने गांव में प्रदूषण की जांच के लिए भेजा है। वह स्थलीय निरीक्षण के बजाए पंचायत भवन में ग्राम प्रधान चंदन दिवाकर और पंचायत सचिव राजेश निषाद से कागजी खानापूरी करते रहे। ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव के बताए गए तथ्यों को सही मानकर रिपोर्ट तैयार की।

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पांच हजार की आबादी को एक भी टैंकर पानी नहीं

गोधरौली गांव में 200 परिवार रहते हैं, जिनकी आबादी करीब पांच हजार है। पंचायत सचिव कमलेश कुमार ने बताया कि आठ दिन के भीतर सिर्फ एक टैंकर पानी बिंदकी नगर पालिका से आया है। गांव में 36 हैंडपंप हैं, जिनमें पांच खराब हैं। 21 हैंडपंप क्रोमियम युक्त पीला पानी उगल रहे हैं। लगभग 66 प्रतिशत गांव की आबादी व क्षेत्र दूषित भूगर्भ जल का शिकार है।



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