फोटो-13-जिला अस्पताल के वार्ड में बिना बेड सीट के लेटे मरीज। संवाद
फोटो-15-जिला अस्पताल के तीसरी मंजिल के वार्ड में बंद पंखे। संवाद
फोटो-18-वार्ड के स्टाफ रूम में अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं की लगी भीड़। संवाद
क्रासर
– तीसरी मंजिल के वार्ड में तीमारदारों को बाहर से लाना पड़ रहा पानी, मरीजों को नहीं मिल रही बेड सीट
संवाद न्यूज एजेंसी
फतेहपुर। जिला अस्पताल में मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। तीसरी मंजिल के वार्ड में बिजली-पानी की गंभीर समस्या है। भर्ती मरीजों को बेड सीट तक नसीब नहीं हो रही है। नगर पालिका की जलापूर्ति बंद होने से नित्यक्रिया तक के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। तीमारदारों को बाहर से पानी लाना पड़ रहा।
जिला अस्पताल में रविवार दोपहर एक बजे ओपीडी बंद थी। इमरजेंसी में एक डॉक्टर मौजूद था। प्रथम तल के वार्ड में कई मरीज बिना बेड सीट के ही लेटे थे। वार्ड मरीजों से खचाखच भरा था। अस्पताल के रिकार्ड में 46 मरीज भर्ती हैं। स्टाफ कक्ष में अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं की भीड़ दिखी। दोपहर करीब 1.10 बजे दूसरी मंजिल के वार्ड में 36 मरीज भर्ती मिले। इनमें कई बुखार से ग्रसित थे।
तीसरी मंजिल की अभी मरम्मत हुई है। इसमें पंखे नहीं चल रहे हैं। 25 मरीज इस मंजिल के वार्ड में भर्ती मिले। जलापूर्ति की कोई व्यवस्था भी यहां नहीं मिली। भीषण गर्मी में मरीज बेहाल नजर आए। पता चला कि अभी तक वार्ड में जलापूर्ति नहीं शुरू नहीं हो सकी। तीमारदारों को अस्पताल के बाहर से पानी लाना पड़ रहा है।
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बोले लोग
फोटो-16-अशोक कुमार
सहिमापुर निवासी मरीज अशोक कुमार ने बताया कि तीसरी मंजिल के वार्ड में सबसे बड़ी समस्या पानी की है। जलापूर्ति बंद होने पर नित्यक्रिया जाने के लिए अस्पताल के बाहर से पानी लाना पड़ता है। पंखे न चलने के कारण रात में मच्छरों के कारण नींद हराम रहती है।
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फोटो-17-पंकज
सिविल लाइन निवासी पंकज का मरीज भी तीसरी मंजिल के वार्ड में भर्ती है। उसने बताया कि अस्पताल में शौच तक के लिए पानी नहीं मिलता। उमस भरी गर्मी में पंखे बंद हैं। अस्पताल की यह समस्या बहुत गंभीर है। शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।
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बयान:-
अस्पताल की तीसरी मंजिल पर हुई तोड़फोड़ से कहीं जलापूर्ति की लाइन क्षतिग्रस्त हुई है। इसीलिए टंकी से पानी का कनेक्शन हट गया है। प्लंबर बुलाया गया है। तीसरी मंजिल के वार्ड में अभी काम होना है, लेकिन मरीज बढ़ने के कारण अस्थाई रूप से यहां मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है।
– डॉ. पीके सिंह, सीएमएस, जिला अस्पताल।