फोटो- 38-जिला अस्पताल का डेंगू वार्ड। संवाद
एलाइजा जांच होने के बाद भी जिला अस्पताल में प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था नहीं
संवाद न्यूज एजेंसी
फतेहपुर। स्वास्थ्य विभाग के डेंगू के इलाज के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। जिले में दो एलाइजा लैब होने के बावजूद अब तक एक भी डेंगू मरीज का जिला अस्पताल में भर्ती कर इलाज नहीं किया गया। जिला अस्पताल में प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था न होने के कारण एलाइजा में डेंगू की पुष्टि होने के साथ मरीज को कानपुर हैलट का गेट पास थमाया दिया जाता है।
जिला अस्पताल में एलाइजा जांच की बाकायदा लैब है। इसमें अब तक 50 डेंगू मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन अभी तक एक भी मरीज भर्ती कर इलाज नहीं किया गया। अस्पताल में बने डेंगू वार्ड में डेंगू लक्षणों वाले मरीज भर्ती किए जाते हैं और डेंगू की पुष्टि होते ही उन्हें कानपुर हैलट का गेट पास थमाया जा रहा है। ऐसे में जिले के कुल 162 डेंगू रोगियों में सभी का कानपुर और लखनऊ में इलाज हुआ हैै। यहां पर सिर्फ जांच के साथ एंटी लारवा का छिड़काव तक स्वास्थ्य विभाग की प्रक्रिया सीमित है।
बिंदकी सीएचसी में पहली सितंबर से एलाइजा जांच की सुविधा शुरू हुई। 90 मरीजों की डेंगू जांच हो चुकी है। जांच अब तक पांच मरीज डेंगू पॉजीटिव पाए गए हैं, लेकिन सीएचसी स्तर पर अभी तक एक भी मरीज का संपूर्ण इलाज नहीं हो पाया।
अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि किट में पॉजीटिव मिलने वाले मरीजों की एलाइजा जांच की जाती है। डेंगू वार्ड में भर्ती करके बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराए जाने का प्रयास किया जाता है। डेंगू की पुष्टि होने पर जिला अस्पताल के लिए रेफर किया जाता है।
.बयान:-
डेंगू मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। जिला अस्पताल में यह व्यवस्था न होने के कारण कानपुर हैलट के लिए रेफर किया जाता है, जिन मरीजों में प्लेटलेट्स की कमी नहीं होती, उन्हें भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।