फतेहपुर/खागा। तंत्र-मंत्र के बहाने नर्स सुमन रानी व उनके पुत्र प्रखर गुप्ता की नौबस्ता पुल पर हथौड़ा मारकर हत्या करने और फिर दोनों के शवों को पुल से फेंकने के मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। कत्ल के पीछे उधार ली गई रकम हड़पने और फिर इकलौती बेटी से शादी करने की एक पक्षीय योजना तांत्रिक अरुण की थी। आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच गए लेकिन उनके इस कृत्य ने एक परिवार को खत्म कर दिया।

पुलिस लाइन में मंगलवार को एसपी उदयशंकर सिंह ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हरदों में तैनात नर्स सुमन रानी (58) व उनका पुत्र प्रमुख गुप्ता (20) नौ अगस्त की रात लापता हो गए थे। इसकी सूचना उनकी पुत्री कीर्ति गुप्ता ने 11 अगस्त को कोतवाली पुलिस को दी थी। कीर्ति ने स्पष्ट किया था कि मां ने फोन पर गंगा स्नान के लिए जाने की बात बताई थी। रात के समय गंगा स्नान की बात पुलिस को खटक गई। सुमन रानी व प्रखर गुप्ता के मोबाइल की जांच कर अंतिम कॉल डिटेल खंगाली गई। इससे हथगाम थानाक्षेत्र के कनकपुर निवासी तांत्रिक अरुण चौधरी का पता चला। पुलिस ने अरुण व उसके खागा मझटेनी निवासी रोजगार सेवक बहनोई शैलेंद्र कुमार चौधरी को पकड़ा। पूछताछ कर इनके साथी कनकपुर निवासी सुरेंद्र उर्फ सुरेश और सुरेश के खागा रोशनपुर टेकारी निवासी फूफा देशराज उर्फ देस्सा को पकड़ा गया। शैलेंद्र ने घटना में सहयोग के लिए सुरेंद्र और देशराज को 30-30 हजार रुपये दिए थे। इन चारों को पुलिस ने सुजानीपुर से गिरफ्तार किया।

खुलासा हुआ कि सुमन रानी ने रेलवे लाइन किनारे मकान बनवाया था। बगल में आरोपी शैलेंद्र चौधरी (तांत्रिक अरुण का जीजा) रहता है। शैलेंद्र ने वर्ष 2017 में सुमन रानी से छह लाख रुपए हार्वेस्टर खरीदने के लिए लिए थे। वर्तमान में तीन लाख 60 हजार रुपये बकाया थे। छह अगस्त को प्रखर गुप्ता रुपये न लौटाने पर शैलेंद्र चौधरी के घर पहुंचा था। उनके बीच लेनदेन पर विवाद हुआ था। शैलेंद्र के जरिए ही अरुण सुमन रानी के घर दो साल से आने-जाने लगा था। वह परिवार का करीबी हो गया था। प्रेत-बाधा बताकर परिवार को बहकाए रहता था। सुमन रानी की प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली इकलौती पुत्री कीर्ति को अरुण अक्सर रुपये व घरेलू सामान देने जाता था। अरुण की नजर सुमन रानी की करीब डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति पर थी। इसके लिए कीर्ति से शादी के लिए एकतरफा योजना अरुण बनाने लगा। जीजा और साले ने योजना बनाई कि अगर मां-बेटे रास्ते से हट जाते हैं तो दोनों की समस्या का समाधान हो जाएगा।

योजना के तहत नौ अगस्त की रात अरुण ने सुमन व उसके बेटे प्रखर को रात में पूजा के बहाने बुलाया। उसके कहने पर सुरेश कुमार पासवान दोनों को रात करीब 10 बजे बाइक से लेकर नौबस्ता पुल पर पहुंचा। जहां सुरेश पासवान, देशराज पासवान व शैलेंद्र चौधरी ने हथौडे, चाकू, डंडे से हमला कर मां-बेटे को मार डाला। दोनों के शव गंगा नदी में फेंककर भाग निकले। घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करने पर मानव रक्त के धब्बे पाए गए। पुलिस को सुमन रानी का नदी से 13 अगस्त को शव बरामद हुआ, लेकिन प्रखर गुप्ता की तलाश अभी जारी है। पुलिस ने घटना में प्रयोग की गई तीन बाइक, हथौड़ा, एक चाकू, चार मोबाइल फोन, 13 हजार रुपये, सुमन रानी व प्रखर गुप्ता के कपड़े, आधार कार्ड व पर्स आरोपियों के कब्जे से बरामद किया है। खुलासा करने में कोतवाल खागा तेज बहादुर सिंह, एसआई विवेक यादव, नीरज कुशवाहा, अखिलेश यादव, सिपाही मनोज कुमार, रामकुमार, संदीप कुमार, अरविंद सिंह, धनंजय यादव, रोहित कुमार, स्वाॅट प्रभारी रवींद्र श्रीवास्तव और सर्विलांस टीम शामिल रही।

इनसेट

अरुण ने बचने के लिए दोस्त का सिमकार्ड और बाइक का उपयोग किया

पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड पुलिस अरुण को मान रही है। तांत्रिक अरुण ने बहनोई शैलेंद्र के साथ नौ अगस्त की शाम पहले गुखुरुवापुर में शराब पी। इसके बाद खागा बाईपास पर शराब पी। नर्सरी के पास बैठकर हत्या की योजना बनाई। रात करीब नौ बजे अरुण हरदों अस्पताल पहुंचा और रात में पूजा पाठ की बात कहकर सुमन रानी व प्रखर गुप्ता को सुरेंद्र उर्फ सुरेश के साथ बाइक से नौबस्ता पुल पर भेजा, ताकि रास्ते में किसी सीसीटीवी कैमरे में वह कैद न हो सके। अरुण ने मृतका के घर में ही अपने मोबाइल में साथी देशराज पासवान का सिम डाला। उस सिम का प्रयोग कर साथियों के संपर्क में रहा। आरोपी देशराज पासवान करीब 15 साल पहले मारपीट के मामले में एक माह के लिए जेल में रहा था।



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