फतेहपुर। तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव से सेहत बिगड़ रही है। बारिश के बाद तेज धूप निकलने से संक्रामक रोगों में बढ़ोत्तरी हो रही है। गुरुवार को जिला अस्पताल की ओपीडी में 1400 मरीज पहुंचे। इनमें करीब आधे बुखार, जुकाम और पेट रोग के थे। चिकित्सकों का कहना है कि तेजी से तापमान बढ़ने-घटने से शरीर पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे में खान-पान में जरा सी लापरवाही लोगों को बीमार कर रही है।

पिछले कुछ समय से बारिश के बाद तेज धूप निकल रही है। कभी ठंडी हवा चलने लगती है तो कभी उमस भरी गर्मी हो जाती है। यही कारण है कि संक्रामक रोग पनप रहे हैं। शहर से लेकर गांवों तक घर-घर बुखार रोगी मिल जाएंगे। इन बीमारियों से यमुना और गंगा के कटरी क्षेत्र अधिक प्रभावित हैं।

जिला अस्पताल की ओपीडी में रोगियों की संख्या गुरुवार को करीब 1400 की रही। इनमें करीब आधे बुखार, जुकाम और पेट रोग के रहे। अस्पताल के दोनों वार्ड मरीजों से फुल हैं। निर्माणाधीन तीसरे वार्ड में बिना व्यवस्थाओं के 26 रोगी भर्ती हैं। वार्ड फुल होने से डाॅक्टर नया मरीज भर्ती करने से कतरा रहे हैं। क्योंकि वार्ड में पुराने मरीज को छुट्टी दिए बगैर नया मरीज भर्ती करना संभव नहीं है।

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पैथोलाॅजी में 223 नमूनों की हुई जांच

जिला अस्पताल की पैथोलाॅजी में गुरुवार को खून के 223 नमूनों की जांच हुई। इनमें 27 मरीजों की प्लेटलेट्स एक लाख के आसपास रही। प्लेटलेट्स घटने का सिलसिला स्वास्थ्य विभाग रोक नहीं पा रहा। पैथोलॉजी में शहर के अलावा यमुना और गंगा कटरी के गांवों के बहुतायत मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैं।

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दोपहर तक मरीजों की रही भीड़

जिला अस्पताल में दोपहर एक बजे तक मरीजों की भीड़ रही। रोगी पंजीयन कक्ष, पैथोलाॅजी, दवा वितरण खिड़की पर लंबी लाइनों में लगे रहे। वार्डों में कोई बेड खाली नहीं दिखा। हाल यह है कि मरीज की हालत में जरा भी सुधार होने पर डाॅक्टर छुट्टी कर रहे हैं। इसके बाद बेड खाली होने पर नए मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने ट्रामा सेंटर में भी मरीज भर्ती करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को यहां पर सात मरीजों को भर्ती किया गया।

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बयान:-

सितंबर माह में हर साल संक्रामक रोग ज्यादा प्रभावी हो जाते हैं। ऐसे में वायरल फैलना कोई नई बात नहीं है। मरीजों की संख्या बढ़ने पर तीसरी मंजिल का वार्ड खोला गया है। अस्पताल में डॉक्टरों के साथ दवाओं का पर्याप्त भंडारण है। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।

– डॉ. पीके सिंह, सीएमएस।



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