संवाद न्यूज एजेंसी

बिंदकी। पुरानी बिंदकी स्थित मां ज्वाला देवी की ख्याति आसपास के क्षेत्र में है। कई सौ साल पुराने मंदिर से जुड़ीं कई मान्याएं हैं। लोगों में विश्वास है कि मां के दरबार में ज्योत जलाने से सब काम बन जाते हैं। यहां दर्शन और प्रसाद से कई रोग दूर हो जाते हैं। मंदिर में प्रत्येक सोमवार को मेला लगता है।

पुजारी शैलेंद्र सैनी(आशु) ने बताया कि कोलकाता के एक सेठ के बेटे की आंखों की रोशनी में दिक्कत थी। उनके यहां बिंदकी के ज्वाला प्रसाद दुबे भी रहते थे। उन्होंने मां की शक्ति और कृपा के बारे में बताया। सेठ बिंदकी के ज्वाला देवी मंदिर आए। यहां पर पुजारी ने उन्हें मां का जल दिया। उसको लगाने से बेटे की आंखों को आराम मिलने लगा। इसके बाद सेठ ने मंदिर का जीर्णोद्धार वर्ष 1912 में कराया। दरबार में संगमरमर लगवाए। आज भी मां के जल से अपने रोग का उपचार कराने दूर-दूर से आते हैं।

मां की शक्ति और कृपा की ख्याति आसपास क्षेत्रों तक है। नवरात्र में मां के दरबार में लोग दूर-दूर से आकर मां की ज्योत जलाकर मन की मुरादों को पूरा करते हैं। हम चार पीढ़ियों से मां की सेवा व पूजा कर रहे हैं। मंदिर में भोलेनाथ का भी प्राचीन मंदिर है।

आरती का समय

मंदिर में सुबह की आरती छह बजे व शाम की आरती आठ बजे होती है। मंदिर रात दस बजे बंद होता है। मंदिर प्रांगण में बने यज्ञ मंडप में दुर्गा माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करके हवन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। पूरे नवरात्र को मां को फूलमालाओं से सजाया जाता है।

नवमी को होता है भंडारा

मेला कमेटी अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बबलू ने बताया पूरे नवरात्र में शाम को भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाता है। सप्तमी अष्टमी को हलवा का प्रसाद दिया जाता है। वहीं नवमी को भंडारा होता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।



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