फतेहपुर। शहर में हो रही जलापूर्ति की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। नगर पालिका ने नौ महीने से जलापूर्ति की शुद्धता की जांच तक नहीं कराई है। निकाय के पास जल शुद्धता की मापक प्रयोगशाला भी नहीं है। ऐसे में शहरवासियों का स्वास्थ्य भगवान भरोसे है। यह स्थिति तब है जब गंगा और यमुना में बाढ़ के कारण सूखे पड़े जल स्रोतों ने पानी देना शुरू कर दिया है। ऐसे स्रोतों से दूषित पानी निकलता है। शहर में फैल रहीं संक्रामक बीमारियां के पीछे दूषित पानी को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है।
नगर पालिका क्षेत्र की करीब ढाई लाख आबादी को जलापूर्ति के लिए 52 नलकूप हैं। गर्मी के मौसम में जलस्तर घटने से यह सभी नलकूपों की जलापूर्ति क्षमता इसलिए कम हो जाती है, क्योंकि ऊपरी तह के जलस्रोत सूख जाते हैं। बारिश के साथ गंगा और यमुना में बाढ़ से सूखे जलस्रोत पानी देने लगे हैं। ऐसे में नलकूपों का पानी भी दूषित होना तय है। इसके बावजूद नगर पालिका ने नवंबर 2022 के बाद से पेयजल की शुद्धता का परीक्षण कराना मुनासिब नहीं समझा है। ऐसे में साफ है कि शहर में होने वाली जलापूर्ति की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। यही कारण है कि शहर में भी संक्रामक बीमारियों ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। घर-घर बुखार, उल्टी दस्त के रोगी मिल रहे हैं। इसके बावजूद नगर पालिका को अभी तक पेयजल के नमूनों के परीक्षण की याद नहीं आई है।
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बयान:-
बारिश के सीजन में जलस्रोतों से दूषित पानी आने लगता है। दूषित पानी पीने से संक्रामक बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। बासी खाने से परहेज और शुद्ध पानी पीकर संक्रामक बीमारियों से बहुत कुछ बचाव किया जा सकता है। अस्पताल में भी ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ी है।
– डॉ. केके पांडेय, जिला अस्पताल
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बयान:-
नगर पालिका जनहित से संबंधित हर कदम उठाने के लिए हरसंभव प्रयास करती रहती है। पेयजल के नमूनों के परीक्षण की प्रक्रिया प्रोसेस में है। जल्द नमूने एकत्र कर परीक्षण के लिए जलनिगम को भेज दिए जाएंगे।
– राजकुमार मौर्य एडवोकेट, चेयरमैन सदर नगर पालिका।