फतेहपुर। कान्हा की गइयां गोशालाओं में बदहाली का शिकार हैं। एक गोवंश का पेट भरने के लिए 30 रुपये रोजाना दिए जा रहे, जो ऊंट के मुंह में जीरा के सामान है। इस धनराशि से आधा किलो दाना और चार किलो भूसा गोवंश को देने का प्रावधान है, जबकि 30 रुपये में तीन किलो भूसा भी नहीं मिलता। एक गोवंश को पेट भरने के लिए छह किलो भूसे की आवश्यकता होती है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अधिकारियों ने गोशालाओं में गायों को तिलक लगाकर फूलमाला पहनाया और गुड़ खिलाकर पूजा अर्चना की। जबकि गोशाला में भूखे, प्यासे और बीमार गोवंश घूम रहे गोवंशों की तरफ अधिकारियों ने नजर उठाकर भी नहीं देखा। स्थिति यह है कि जिले में 55 गोशालाओं में 20600 गोवंश बंद हैं। अभी तीन गोशाला प्रस्तावित हैं। इनमें भिटौरा ब्लाक के उन्नौर, खजुहा ब्लाक का सुल्तानगढ़ और हसवा ब्लाक की एक गोशाला है।

खास बात यह है कि चारे के लिए 30 रुपये प्रति गोवंश रोजाना के हिसाब से शासन से मिलते हैं। यह बजट कब मिलेगा, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में गोसेवक गोवंशों का पेट कहां से भरें, यह सोचने का विषय है।

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भरपेट भूसा तक नहीं मिलता, कहां से आए दाना

शासन से जारी बजट से गोवंशों का पेट भरना संभव नहीं है। 30 रुपये में आधा किलो पशु आहार, चार किलो भूसा और हरा चारा गोवंश को प्रतिदिन देने का प्रावधान है। जबकि वर्तमान में भूसे की कीमत 1100 रुपये प्रति क्विंटल है। ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग होता है। इस धनराशि से मुश्किल से ढाई किलो भूसा भी नहीं मिलता। ऐसे में पशु आहार कहां से खरीदा जाए। दूसरी तरफ भूसा दाना खरीदने में बजट की समस्या आड़े आती है।

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गोशालाओं में दम तोड़ रहे गोवंश

गोशालाओं में न तो भर पेट भर चारा है और न शुद्ध पानी की व्यवस्था मौजूद है। यही कारण है जिले में संचालित कोई भी गोशाला ऐसी नहीं है, जहां गोवंश दम न तोड़ रहे हों। इसके बावजूद गोशालाओं में अधिकारी गोवंशों को तिलक लगाकर फूल माला पहनाकर सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं।

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बजट पर डीवीओ ने साधी चुप्पी… फिर बोले- आप तो सब जानते हैं

हकीकत जानते हुए भी अधिकारी भी गोवंशों के लिए जारी होने वाले बजट पर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। हाल यह है कि प्रति पशु 30 रुपये दिए जाने वाले बजट पर जब जिला पशु चिकित्साधिकारी (डीवीओ) से सवाल किया गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। कुछ देर बाद बोले, भाई साहब आप तो सब जानते हैं, अब मैं क्या कहूं? जिम्मेदार अफसर के इस बयान से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि गोशालाओं की स्थिति क्या। मवेशियों को भर पेट चारा तो उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।



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