संवाद न्यूज़ एजेंसी

औंग। बाढ़ और कटान से प्रभावित बिंदकी फॉर्म गांव के बाशिदों को आवास के लिए जमीन अभी तक नहीं मिली है। बाढ़ राहत शिविर दरियापुर के महुआ घाटी में 28 अगस्त को प्रभारी मंत्री राकेश सचान ने अधिकारियों को एक सप्ताह के अंदर जमीन चिन्हांकन करने को आदेशित किया था। उस दौरान एक सप्ताह के अंदर बिंदकी फॉर्म गांव के 45 परिवारों को जमीन चयनित कर मकान के लिए देने की बात कही गई थी। लेकिन एक माह बीतने के बाद राजस्व विभाग जमीन खोज नहीं सका है।

बिंदकी फॉर्म के आंचल बहादुर, योगेंद्र, बागीश ने बताया कि बाढ़ राहत शिविर से गांव लौटने के बाद बिंदकी समाधान दिवस में जिलाधिकारी को पत्र देकर अवगत कराया था। इसके बाद भी अभी तक आवास के लिए जमीन नहीं मिल पाई है। 50 वर्ष से बाढ़ और काटन की समस्या से गांव खतरे में है। बाढ़ और राहत के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च होते हैं। ग्रामीण शासन प्रशासन के नुमाइंदों से मुस्तकीम ऊंचाई वाले स्थान पर आवास के लिए जमीन व प्रधानमंत्री आवास की मांग करते हैं। बाढ़ के बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

-सात परिवारों को प्रधानमंत्री आवास मिला

बिंदकी फॉर्म गांव के सात परिवारों को प्रधानमंत्री आवास का धन अवमुक्त हो चुका है। लाभार्थी बिंदकी फॉर्म गांव में मकान नहीं बनाना चाहते हैं। उनके लिए बिंदकी फार्म में प्रधानमंत्री आवास बनाना घाटे का सौदा है। कभी भी बाढ़ और कटान से आवास के लिए मिला पैसा पानी में बह सकता है। ग्रामीण ऊंचाई वाली जगह में जमीन मिलने के बाद निर्माण करने के पक्ष में है।

कोट्स

उप जिलाधिकारी बिंदकी को कई बार लिखित और मौखिक रूप से जमीन के सीमांकन को निवेदन कर चुका हूं। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फिलहाल बिंदकी फॉर्म के लाभार्थियों को मिले प्रधानमंत्री आवास को बिंदकी फॉर्म में बनाने से रोका गया है।

रामदास निषाद, प्रधान, अभयपुर



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