थरियांव। आए दिन मौसम के उतार चढ़ाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कभी तेज धूप, तो कभी बूंदाबांदी से धान की फसलें रोगों से ग्रसित हो रही हैं। धान की फसलों में पानी की कमी होने से कीड़ा लगने के साथ ही आयरन जिंक की कमी हो रही है। इसकी पुष्टि कृषि वैज्ञानिकों ने की है।

मौसम के कारण धान में खैरा रोग लगना शुरू हो गया है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि फसल में नीम के तेल का छिड़काव सबसे उपयोगी साबित हो सकता है। हालांकि पानी की कमी दूर करना जरूरी है। धान की फसलों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। रोपाई के बाद निराई होती है। उस समय पानी की सख्त जरूरत होती है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जिन फसलों में पानी की हल्की कमी होगी, उनमें कीड़े लग सकते हैं। कीड़े पौधों के नीचे छेद कर देते हैं और फसल धीरे धीरे बर्बाद हो जाती है। पानी की कमी होने पर खेतों में आयरन व जिंक की कमी होने लगती है। आयरन की कमी होने से फसलें सूखने लगती हैं। पत्तियां लाल होने लगती हैं। इससे बचाव के लिए सिंचाई करना आवश्यक है।

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ऐसे करें बचाव

विलंब से रोपे गए धान में कल्ले कम बन रहे हैं और इनमें खैरा रोग लग रहा है। जिससे धान की फसल पीली व भूरी पड़ रही हैं। रोग के निदान के लिए एक बीघा फसल में 3.5 किलो यूरिया एवं एक किलो जिंक 150 लीटर पानी में घोलकर शाम के समय छिड़काव करें।

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आशिकपुर औरेइया निवासी ननकऊ सिंह ने बताया कि समय से बारिश न होने के साथ अधिक तापमान से धान के पौधों में ऊपर की पत्तियां पीली पड़ रही हैं। इसके कारण धान की फसल बर्बाद होती जा रही है।

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मुसईपुर मजरे रामपुर थरियांव निवासी वीरेंद्र यादव ने बताया कि इस वर्ष बारिश कम होने से धान की फसल में खैरा रोग लग रहा है। इसके बचाव के जतन कर रहे हैं। पानी नहीं होने से परेशानी बढ़ गई है।



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