फतेहपुर। सेवानिवृत्त वार्ड बॉय की हत्या की साजिश उसी के बेटे ने रची थी। चचेरे भाई वकील को फंसाने के लिए दोस्त से पिता को गोली मरवाई थी। पुलिस ने बेटे समेत तीन को हिरासत में लिया है। फिलहाल भतीजा भी पुलिस कस्टडी में है। जांच में मामला स्पष्ट हो चुका है। पुलिस नामजद भतीजे को क्लीन चिट दे सकती है।
सदर कोतवाली के आबूनगर ककरहया मोहल्ला निवासी हरीओम गुप्ता उर्फ बाबा (64) जिला अस्पताल से वार्ड बॉय के पद से सेवानिवृत्त थे। वह दूध लेकर साइकिल से रविवार की शाम घर लौट रहे थे। घर से कुछ दूर पहले जिला उद्योग केंद्र के पास हरीओम की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पत्नी निर्मला की तहरीर पर पुलिस ने भतीजे एडवोकेट ज्ञानेंद्र उर्फ ज्ञान प्रकाश गुप्ता व अन्य साथी के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की थी। पुलिस ने ज्ञानेंद्र को उनके पक्का तालाब स्थित घर से गिरफ्तार किया था।
पूछताछ में पता चला कि ज्ञानेंद्र अपने घर से शाम करीब चार बजे के बाद से निकले ही नहीं थे। संदेह के आधार पर पुलिस ने मृतक के बेटे दिलीप उर्फ दीपू को हिरासत में लेकर पूछताछ की। उसके मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली। पूछताछ में ही दीपू टूट गया। उसने चचेरे भाई को फंसाने के लिए पिता की हत्या कराना कबूल किया। बताया कि उसने गोली आबूनगर के रहने वाले दोस्त कल्लू पाल से मरवाई थी।
पुलिस ने कल्लू को सर्विलांस की मदद से रात को पकड़ लिया। उसकी निशानदेही में एक घर से पुलिस ने झोले में भरा तमंचा बरामद कर लिया। वह घर कल्लू के परिचित का है। पुलिस ने परिचित युवक को भी हिरासत में लिया है। उसकी घटना में संलिप्तता की पुलिस जांच कर रही है। एएसपी विजय शंकर मिश्रा ने बताया कि घटना में प्रथम दृष्टयता नामजदगी गलत पाई गई है। जांच में पुत्र व अन्य का हाथ सामने आया है। जांच पूरी होने के बाद आरोपियों को जेल भेजा जाएगा।
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ये हत्या की वजह बनी
– सजायाफ्ता दिलीप उर्फ दीपू जेल में रहने के दौरान पैरवी न किए जाने से पिता से खुन्नस मानता था
– जेल से छूटने के बाद खर्च और नशे के लिए रुपये मांगने पर नहीं देता था पिता
– पिता की हत्या में चचेरा वकील भाई को जेल भेजकर चार दशक से पारिवारिक विवाद के चलते घर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहता था
– चचेरे भाई के पिता की हत्या में जेल काट चुका है। वह खुद के जेल में रहने की तकलीफ का अहसास चचेरे भाई को दिलाना चाहता था और विचाराधीन मुकदमे में सुलह करना भी पिता की हत्या के पीछे का मकसद था।
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गोली मारने से 20 मिनट पहले पहुंचा था कल्लू
आरोपी कल्लू का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वह घटना से करीब 20 मिनट पहले वहां पहुंचा था। बिंदकी बस अड्डा चौराहे की ओर दो बार आते-जाते एक स्थान के सीसीटीवी में कैद हुआ है। इससे पुलिस उसकी मौजूदगी पहले से मान रही है। पुलिस की जांच में यह भी साफ हुआ कि कल्लू पाल सिर्फ दीपू से दोस्ती में उसके पिता की हत्या की है।
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बेटे ने लोगों को कल्लू को पकड़ने से रोका था
पिता की हत्या की साजिश रचने वाले बेटे दीपू ने लोगों को कल्लू को पकड़ने से रोका था। पुलिस ने बिंदकी बस अड्डे के पास लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की। पूछताछ में सामने आया कि कल्लू गोली मारने के बाद बाइक लेकर भाग रहा था। उसे बिंदकी बस अड्डा चौराहे पर खड़े लोगों ने रोकने का प्रयास किया। इस दौरान दीपू ने ही लोगों को मना किया।
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आबकारी सिपाही के भाई के घर मिला तमंचा
कल्लू ने भागते समय रास्ते में तमंचा झोले में भरकर एक घर में छोड़ दिया था। खबर है कि झोेले को युवक ने भूसे में छिपाया था। युवक आबकारी विभाग में तैनात सिपाही का भाई है। पुलिस युवक की घटना में संलिप्तता की जांच कर रही है। जांच में यह भी आया कि दीपू अपने चाचा उमाशंकर की हत्या में 14 साल की सजा काटकर छूटा था। भाई प्रमोद चाचा की हत्या में जमानत पर है।