फोटो-10-होम्योपैथ में मरीजों का उपचार करते चिकित्साधिकारी

फोटो-11-डॉ. आयुष पटेल, चिकित्साधिकारी

– जिला होम्योपैथ चिकित्सालय में हर रोज 30 से 40 वायरल मरीजों का हो रहा उपचार

संवाद न्यूज एजेंसी

फतेहपुर। डेंगू और चिकिनिगुनिया नहीं लेकिन उसी तरह के लक्षण मरीजों में मिल रहे हैं। ये बीमारी तेजी से फैल रही है। घर-घर मरीज हैं। इससे निजात पाने के लिए होम्योपैथिक दवाएं भी कारगर साबित हो रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि होम्योपैथी में इस बीमारी से प्रभावित होने से पहले ही रोकथाम की दवाएं उपलब्ध हैं। इस बुखार को रहस्यमयी (मिस्ट्री फीवर) भी नाम दिया जा रहा है।

जिले में वायरल, डेंगू तेजी से फैल रहा है। डेंगू के अब तक 185 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। वहीं इसके मिलेजुले लक्षण के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एलोपैथ के अलावा मरीज अब होम्योपैथ का भी सहारा लेने लगेंगे। राजकीय होम्यो चिकित्सालय में हर रोज औसतन 120 मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें 30 से 40 मरीज वायरल से संबंधित हैं।

होम्योपैथ के डाक्टर का कहना है कि डेंगू, टाइफाइड और वायरल संबंधी बीमारी का होम्योपैथ में बेहतर उपचार है। इतना ही नहीं बीमारी से पहले लक्षण को समझकर दवाएं ली जाएं, तो रोगों से ग्रसित होने से बचा जा सकता है।

होम्योपैथी में ये है उपचार

– बुखार और जोड़ो में दर्द होने पर इपीटोरियम पर्फ 30 सीएच, फेरमफॉस 30सीएच व आर्सेनिक 30 सीएच की डोज तीन-तीन घंटे में।

– डेंगू और प्लेटलेट्स कमी होने पर रसटॉक्स 30सीएच, डेंगू हिल व कैरिकापपाया 15-15 बूंद पानी के साथ।

– चिकिनगुनिया की तरह सिर्फ जोड़ों में दर्द होने पर गालथेरिया 15-15 बूंद पानी के साथ।

– टाइफाइड पर जेलसीमियम व बैकटीसिया 30-30 सीएच और म्यूरिक दवा का दिन में तीन बार सेवन करके उपचार किया जाता है।

(होम्योपैथ में लक्षण के अनुसार उपचार होता है।)

50 हजार से कम होने पर एलोपैथ का सहारा

राजकीय होम्यो चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी डॉ. आयुष पटेल ने बताया कि सामान्य वायरल में भी प्लेटलेट्स कम होते हैं, लेकिन डेंगू में तेजी से गिरते हैं। व्यक्ति की इम्युनिटी भी बहुत मायने रखती है। हमारा शरीर खुद प्लेटल्टेस बनाता है। डेंगू का संक्रमण काल 10 से 12 दिन का है। लेकिन प्लेटलेट्स 50 हजार से नीचे जाने पर एलोपैथ का सहारा लेना जरूरी है।

दिसंबर से कम होने लगेगा असर

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आरपी सिंह का कहना है कि डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड व चिकनगुनिया मौसमी बीमारी हैं। ये इन्हीं महीनों में होती हैं। इनसे सतर्कता बरतकर बचाव किया जा सकता है। ये बीमारी दिसंबर से कम होने लगेंगी। 150 फीट के आसपास साफ सफाई व उबालकर पानी पीना एहतियात के तौर पर बेहतर है।

कोट्स

होम्योपैथ में लक्षण और हर व्यक्ति के अनुसार उपचार होता है। इन बीमारियों का भी उपचार होम्योपैथ में है। अस्पताल में हर रोज 30 से 40 मरीज ऐसे आते हैं। बीमारी से पहले सर्दी, जुकाम, गले में खरास जैसे लक्षण प्रतीत होने लगे, तो उसका उपचार करके रोग को रोका जा सकता है।

डॉ. आयुष पटेल-चिकित्सा अधिकारी, राजकीय होम्यो चिकित्सालय



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