फतेहपुर। शहर से लेकर गांवों तक बुखार फैला हुआ है। अस्पतालों में हर रोज बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें 80 प्रतिशत मरीज वायरल फीवर के हैं। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक ये वायरल फीवर अपना स्वरूप बदल रहा है पहले वायरल फीवर के मरीज दवा देने पर तीन दिन में आसानी से ठीक हो जाते थे लेकिन अब 14 दिन तक का समय लग रहा है।
जिला अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों में दिन प्रतिदिन ओपीडी में बुखार रोगियों की संख्या बढ़ रही है। शुक्रवार को जिला अस्पताल में 1353 नए रोगियों ने पंजीयन कराया। इनमें 80 फीसदी बुखार रोगी हैं। डाॅक्टरों ने बढ़ते रोगियों को देखते हुए प्रत्येक बुखार रोगी के रक्त की जांच अनिवार्य कर दिया है। लेकिन सरकारी अस्पताल में हर मरीज की जांच करना क्षमता से बाहर है। वहीं मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हर मरीज को तीन दिन की ही दवा दी जा रही है। ये मरीज के इलाज में कारगर साबित नहीं हो रही है और वे झोलाछाप या प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं।
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एसके सिंह का कहना है कि अगस्त सितंबर में बुखार के मरीज बढ़ते ही हैं। ऐसे में मौसमी वायरल फीवर के साथ कभी-कभी मच्छर जनित बुखार के रोगी आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बुखार आने पर अनिवार्य रूप से मरीज ब्लड की जांच करा लें। इसके बाद कुशल डाक्टर की सलाह पर ही दवा लेंं।
ये हैं लक्षण
वायरल फीवर- वायरल फीवर सुबह से शाम तक तेजी से बढ़ता है। इसमें शरीर में दर्द और मानसिक रूप से भी परेशान करता है। इसके ठीक होने में सात से 14 दिन लग सकते हैं। संतुलित भोजन व आराम उपचार में शामिल।
मलेरिया- ठंडक देकर बुखार आता है। मलेरिया की जांच के बाद उपचार से ठीक हो जाता है।
– टाइफाइड- इसमें बुखार धीरे-धीरे चढ़ता है। भूख नहीं लगती, पेट में दर्द होने लगता है। जांच करके टाइफाइड का उपचार लंबा है।
डेंगू- ये बहुत तेजी से बढ़ता है। सात दिनों में डेंगू का पूरा असर हो जाता है, यानी इतने दिनों तक सजगता बहुत जरूरी है। सात दिनों के बाद भी बुखार आ रहा है, तो डेंगू से घबराने की जरूरत नहीं है।
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किट की जांच में अब तक 78 संभावित डेंगू मरीज
संवाद न्यूज एजेंसी
अमौली। रूसिया में बुखार से तीन मौतें होने के बाद शुक्रवार को सीएमओ ने कैंप का निरीक्षण किया। गांव में तीनों मौतों का संज्ञान लेते हुए उनके परिजनों से मुलाकात किया। ब्लाक क्षेत्र के कापिल, जद्दूपुर, खानपुर, कनेरा मयचक, गांगपुर, हसनपुर, देवरी, रूसिया समेत कई गांव बुखार की चपेट में हैं। इसमें अब तक 78 संभावित डेंगू मरीज मिले हैं।
शुक्रवार को रूसिया की राजरानी पत्नी सुखनंदन एवं देशराज इलाज के लिए कानपुर चले गए। इसके अलावा राकेश, ज्ञान किशन, सुशीला, विद्यादेवी, सोनम, मालती, मुन्नी देवी, मिथिला, आसमा, आरती, जसमा, लल्ली सहित कई लोग कानपुर, डीघरुवा, जहानाबाद में प्राइवेट इलाज करा रहे है। शुक्रवार के कैंप में केवल 21 मरीज आए, उसमें तीन मरीज बुखार के निकले। चिकित्साधीक्षक डॉ. पुष्कर कटियार, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. राजेश कुमार, हेल्थ सुपरवाइजर शैलेंद्र, एल टी बिकास सिंह कैंप में मौजूद रहे।
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बकेवर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवमई में प्रतिदिन 100 से 150 बुखार मरीज आते हैं। शुक्रवार को जांच में खदरा निवासी अशोक और डारी बुजुर्ग निवासी राजकुमार यादव को संभावित डेंगू की पुष्टि हुई।
वहीं, रूसी में मरीजों की संख्या घटने के बाद डारी बुजुर्ग, सरायं बकेवर में विष्णु गुप्ता, गौरव मिश्रा, बकेवर में शिवप्रसाद कुशवाहा, छोटू कुशवाहा बुखार से संक्रमित हैं। गौरव मिश्रा ने बताया कि उसने उप स्वास्थ्य केंद्र बकेवर में जांच कराने पर टाइफाइड निकला। बुखार उतरा, लेकिन सिर में दर्द बढ़ गया। रामपुर बकेवर में जालिम की पत्नी ननकी, राजपाल की पत्नी रिंकी, मोहन की पत्नी मालती, अंशिका व जयपाल पुत्र प्रीतम संक्रमित बुखार से पीड़ित है। इसी तरह नहरामऊ, मथुरापुर, भैरमपुर, बिजुरी, कांश्मीरी और भैसोली, सुजावलपुर गांवों में सैकड़ों मरीज हैं। प्रभारी डॉक्टर विमलेश कुमार ने बताया कि रूसी में रोज कैंप पंचायत भवन पर लगाया जाता है। डारी बुजुर्ग और खदरा के डेंगू के मरीज पाए गए हैं उनको दवा दी गई है। वह ठीक नहीं होते तो कल और जांच कराई जाएगी।
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सरकारी व्यवस्था से इसलिए उठ रहा विश्वास
– संक्रमित बीमारी को लेकर स्वास्थ्य प्रशासन गांव-गांव कैंप लगा रहा है।
– ब्लड, दवाएं दी जा रही हैं। मलेरिया विभाग के तहत केमिकल छिड़काव भी हो रहा है।
– तीन दिन की बुखार की दवा दी जा रही है। इसकी वजह हर मरीज को दवा देने की बाध्यता है।
– डॉक्टर हर मरीज को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा है। लोगों में इसे लेकर असंतोष रहता है।
– तीन दिन में बुखार में सुधार नहीं होने पर मरीज निजी अस्पतालों का रुख करता है।
कोट
ये वायरल फीवर है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसमें 80 प्रतिशत मरीज वायरल के हैं। हर मरीज को दवा देनी हैं, इसलिए तीन दिन की ही संबंधित बीमारी से जुड़ी दवा दी जाती है। वे आगे भी आकर उपचार कराएं। अन्य बीमारियों के अनुसार डोज दिया जाता है। अस्पताल में उपचार की पूरी सुविधा है।
डॉ. आरपी सिंह, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज