औंग। बाढ़ के पानी से कई गांव टापू बन गए हैं। रोजाना जरूरत की चीजें भी मुश्किल से जुट पा रही है। ऐसे में बिंदकी फार्म के बच्चों की पढ़ाई के प्रति ललक देखते बनती है। यहां के बच्चे बाढ़ की दुश्वारियों के बाद भी हार नहीं मान रहे और पानी से भरे रास्तों पर दो किलोमीटर पैदल चलकर स्कूूल पहुंच रहे हैं। वहीं, बेनीखेड़ा गांव में हालात और ज्यादा खराब होने के कारण यहां के करीब 100 बच्चे और ग्रामीण घरों में कैद होकर रह गए हैं। घरों में पानी भरने से गृहस्थी का सामान, मवेशियों का चारा बर्बाद हो चुका है। ग्रामीण जान-जोखिम में डालकर पानी में तैरकर जरूरत का सामान लेने जाते हैं।
गंगा और पांडु नदी के बीच कटरी में बसे मलवां व देवमई ब्लॉक के अधिकतर गांवों की हालात बाढ़ के कारण बदतर हो चुके हैं। प्रशासन जरूरी सामग्री और नाव इन गांवों में मुहैया कराने का दावा कर रहा है, लेकिन उनकी सुविधाएं प्रभावित क्षेत्र के लिए नाकाफी साबित हो रही हैं। बिंदकी फार्म गांव में 60 छात्र-छात्राएं हैं। फार्म के प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चे पढ़ते हैं, बाकी दूसरे विद्यालयों में अध्यनरत हैं। जलभराव के कारण स्कूल बंद है और गुरुजी स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसी तरह लगभग 15 बच्चे बड़ाखेड़ा जूनियर स्कूल में पढ़ते हैं।
औंग के आदर्श इंटर कॉलेज, बड़ाहार के आदर्श कृषि इंटर कॉलेज, औंग के राम आसरे इंटर कॉलेज में भी कई बच्चे इन गांवों से पढ़ने आते हैं। बस बड़ाखेड़ा तक पहुंचती है। ग्रामीण दिनेश ने बताया कि मंगलवार को रामआसरे इंटर कॉलेज में परीक्षा है। बच्चे दो किलोमीटर पानी से होकर खेतों के रास्ते चलकर बड़ाखेड़ा में बस तक पहुंचेंगे। बेटा दीपक कक्षा आठ. आकाश कक्षा एक का छात्र है, जबकि बेटी काजल कक्षा चार, सीमा कक्षा दो की छात्रा है। जो मुश्किलों के बीच स्कूल जा पा रहे हैं।
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बेनीखेड़ा में नाकाफी साबित हो रही सरकारी मदद
बेनीखेड़ा गांव में 80 परिवारों में सात सौ लोग रहते हैं। एक घर हरिजन बिरादरी का छोड़कर सभी निषाद बिरादरी के हैं। पहले भी मूलभूत सुविधाओं से जनपद से बेनीखेड़ा का संबंध टूटा है। यहां के ग्रामीण कानपुर जनपद पर सभी सुविधाओं के लिए निर्भर रहते हैं। यहां लगभग 110 छात्र-छात्राएं प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए जिला कानपुर के डोमनपुर के गोशाला विद्यालय में जाते हैं। गांव के बुजुर्ग राम अवतार, सुभाष, सुनील, बच्चा, उमाशंकर, दयाशंकर, धनराज, जगतपाल ने बताया कि हमें जरूरत का सामान और गांव से बाहर निकालने के लिए एक नाव तक जिला प्रशासन उपलब्ध नहीं करा पाया है। पूर्व ग्राम प्रधान राजेश सिंह चौहान ने बताया उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार बिंदकी से बेनीखेड़ा के हालात देखते हुए नाव उपलब्ध कराने को गुजारिश की थी। अभी तक नावें नहीं मिली हैं। जाड़े के पुरवा में ही प्रशासनिक मशीनरी आकर रुक जाती है। वहीं, पिछले गुरुवार को बाढ़ के हालात देखने सांसद साध्वी निरंजन ज्योति और जहानाबाद विधायक राजेंद्र पटेल जाड़े के पुरवा पहुंचे थे। सांसद ने प्रशासनिक अमले से बेनीखेड़ा और बिंदकी फार्म में सरकारी नावों की व्यवस्था के बाबत पूछा था। तपाक से हल्का लेखपाल शुभम सिंह ने दो-दो नाव लगी होने की बात कही थी, लेकिन ऐसा कुछ किया नहीं गया।
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– नहीं दिखाई पड़ रहे समाजसेवी
सोशल मीडिया पर समाजसेवियों की भरमार है। लेकिन बाढ़ की विभीषिका से दो-चार हो रहे बाढ़ प्रभावित गांवों में समाजसेवी अभी तक नहीं पहुंचे हैं। बड़े-बड़े दावे करने वाले इन समाजसेवियों की नजर समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों पर नहीं पड़ रही है। किसी राजनीतिक दल ने भी इन ग्रामीणों की समस्याओं को नहीं उठाया है।
कुछ इस तरह से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर
– 16 अगस्त- 100.77 मीटर
– 17 अगस्त- 100.90 मीटर, खतरे के निशान से चार सेंटीमीटर ऊपर।
– 18 अगस्त- 100.98 मीटर, खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर ऊपर।
– 19 अगस्त- 101.050 मीटर, खतरे के निशान से 19 सेंटीमीटर ऊपर।
– 20 अगस्त- 101.090 मीटर, खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर।
– 21 अगस्त- 101.120 मीटर, खतरे के निशान से 26 सेंटीमीटर ऊपर।
– 22 अगस्त- 101.130 मीटर, खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर।
(नोट- खतरे का निशान 100.86 मीटर पर है। श्रोत- बाढ़ नियंत्रण कक्ष)
कोट्स
प्रशासनिक बेड़े में आठ नाठें वर्तमान में उपलब्ध हैं। दो-दो नाव बेनीखेड़ा व बिंदकी फार्म में लगाई गई हैं। इसके अलावा अन्य नावें भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगी हैं। ट्रैफिक के अनुसार जरूर नाव नहीं लगी हैं, लेकिन सुबह-शाम आवागमन की व्यवस्था है। जरूरत के अनुसार, नावों से सामग्री भी भेजी जा रही है। स्वास्थ्य और राजस्व टीमें भी लगातार दौरा कर रही हैं। नौ गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना पहली प्राथमिकता है। बाढ़ प्रभावित लोगों से कहा जा रहा है कि वे बाढ़ शिविर पहुंचे।
– मनीष कुमार, एसडीएम।