फतेहपुर। जिले में बिना पंजीकरण चल रहे नर्सिंग होमों पर स्वास्थ्य प्रशासन का कोई जोर नहीं है। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की निद्रा टूटती है। बिना पंजीकृत बताकर नर्सिंग होम को सील कर देते हैं लेकिन कुछ दिन बाद यह फिर शुरू हो जाते हैं।
बीते दिनों हथगाम कस्बे में बिना पंजीकरण के चल रहे एक नर्सिंग होम में युवक की मौत हो गई थी। परिजनों ने गलत इलाज का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया था। एसीएमओ डॉ. इश्तियाक ने अस्पताल को सील कर दिया। ऐसा ही मामला राधानगर से सामने आया। तीन साल के बच्चे का उपचार मेडिकल स्टोर में संचालित पाली क्लिनिक में चल रहा था। बच्चे की उपचार के दौरान मौत हो गई। एसीएमओ डॉ. इश्तियाक मौके पर पहुंचे। पंजीकरण नहीं होने की बात कहते हुए मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त करने के लिए संबंधित विभाग को लिख दिया। यह दोनों मामले सितंबर महीने के हैं।
ऐसे ही मामले हर महीने होते हैं, लेकिन स्वास्थ्य अमला बिना पंजीकृत नर्सिंग होम पर अंकुश लगाने का प्रयास तक नहीं कर रहा है। बात दें कि पूरे जिले में मात्र 83 नर्सिंग होम पंजीकृत हैं। इसमें 54 सभी मानकों में खरे उतरे हैं, बाकी नवीनीकरण की प्रक्रिया में अटके हैं। जबकि शहर क्षेत्र में ही 100 से अधिक अस्पताल संचालित हो रहे हैं। शहर के लोधीगंज से ज्वालागंज तक ही करीब 20 नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं। इनमें से कई पंजीकृत नहीं नहीं हैं। कुछ अस्पताल मेडिकल स्टोर और पाली क्लीनिक के नाम पर चलाए जा रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में जरूरी संसाधन भी नहीं हैं। इसके बावजूद इन अस्पतालों में मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। ऑपरेशन, प्रसव सहित कई तरह की गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता है। ऐसे कई नर्सिंग होम में झोलाछाप इलाज कर रहे हैं।
इनसेट-
जांच के नाम पर भी हो रहा खेल
नर्सिंग होम के साथ जिले में पैथालॉजी का धंधा भी जोर पकड़े हुए है। पूरे जिले में मात्र 96 पैथोलॉजी पंजीकृत हैं, जबकि अकेले शहर क्षेत्र में ही करीब 200 जगहों पर खून, पेशाब की जांच हो रही है। जानकारी के अभाव में मरीज गलत पैथोलॉजी में अपनी जांच करवा रहे हैं।
कोट्स
बिना पंजीकृत नर्सिंग होम पर समय-समय पर जांच कर कार्रवाई की जाती है। मामले प्रकाश में आए हैं। जिले भर में ऐसे निजी स्वास्थ्य संस्थानों की जांच कराई जाएगी।
– डॉ. अशोक कुमार, सीएमओ।