फतेहपुर। पिछड़े मानसून ने जाते-जाते जमकर बारिश करा दी। पिछले 10 दिनों में ही 113 मिमी से अधिक पानी गिरा। मौसम विभाग अगले 14 सितंबर तक झमाझम बारिश की संभावना जता रहा है। ऐसे में सितंबर माह में 150.9 मिमी औसत बारिश का रिकार्ड टूट सकता है। पिछले तीन दिनों की बारिश से जहां लोगों को राहत मिली है। वहीं, धान की फसल भी लहलहा उठी है। डीएम ने अगले चौबीस घंटे में हल्की से भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
जून से लेकर अगस्त तक मानसून पिछड़ता चला गया। तीनों महीनों में औसत से कम बारिश हुई। सितंबर महीने के शुरुआत में मानसून जाने की आशंका मौसम विभाग ने जताई, लेकिन पहाड़ी और आसपास के प्रदेशों में लगातार बारिश से समुद्र का तापमान ठंडा पड़ गया। उसका असर मैदानी क्षेत्र में दिखाई दिया। पिछले तीन दिनों से लगातार धीमी और मध्यम बारिश हुई। रविवार शाम से रात तक बारिश के चलते सड़कों से लेकर खेत तक पानी भर गया। सोमवार को भी रुक-रुककर बारिश होती रही। इससे मौसम में परिवर्तन भी आया है। मौसम विशेषज्ञ डॉ. वसीम खान के अनुसार 14 सितंबर तक मानसून है। इस बीच हल्के से मध्यम बारिश होगी। मानसून में 16 सितंबर तक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
पिछले साल भी हुई थी अच्छी बारिश
पिछले साल भी सितंबर के अंत तक बारिश हुई थी। पूरे महीने में बारिश 175 मिमी दर्ज की गई थी, जो औसत से 25 मिमी अधिक है। इस बार अब तक 113.5 मिमी बारिश दस दिनों में हो चुकी है। अगले चार दिनों में औसत बारिश 150.9 मिमी का रिकार्ड तोड़ देगा। ये मानसून आगे भी जारी रहा, तो पिछले साल का भी रिकार्ड टूट सकता है।
धान खिला, दलहन-उड़द में उलझन
बारिश से धान की फसल को जान मिल गई है। वहीं, दलहन और उड़द की फसल को नुकसान हो सकता है। मौसम विशेषज्ञ डॉ. वसीम खान का कहना है कि बारिश से फसल को बचाने का कोई उपाय नहीं है, लेकिन इसके बाद नमी और धूप के मिश्रण से फैलने वाली बीमारियों को रोका जा सकता है। दलहन और उड़द की फसल पर बराबर नजर रखें और कीड़ा या बीमारी होने पर तत्काल दवा का छिड़काव करें।
जलभराव के ये हैं जिम्मेदार
तीन दिन की बारिश में नाला-नालियों में उफान आ गया। गंदगी सड़कों पर फैल गई। बारिश का पानी निकलने के बाद जगह-जगह कीचड़ हो गया। जिम्मेदार नगर पालिका प्रशासन हमेशा की तरह बारिश के बाद पंपसेट व नालों की सफाई करके पानी निकालने की जद्दोजहद करता रहा। जाम गंदे पानी से जनता के दो-चार होने से जैसे पालिका प्रशासन से कोई वास्ता ही नहीं हो।
ये बीमारी का भी है घर, करें बचाव
बारिश से जलजमाव होता है। ये जलजमाव पीने वाले पानी में भी मिल जाता है। जलजमाव से मलेरिया व डेंगू और पीने के पानी में गंदगी मिलने से टाइफाइड होता है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आरपी सिंह का कहना है कि दोनों से बचाव करके ही अपने को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। आसपास जलजमाव नहीं होने दें। जलजमाव से नहीं गुजरें। पानी को उबालकर पीएं। कटे फल और खुले खाद्य पदार्थ नहीं खाएं। बीमारी से ग्रसित होने पर डॉक्टर की राय पर ही दवा लें।
एक नजर में बारिश के आंकड़े
माह
जून
जुलाई
अगस्त
सितंबर
(10सितंबर तक)