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Father and Two Sons Suicide
– फोटो : अमर उजाला
लखीमपुर खीरी के बाबूपुर गांव में पहले पिता और फिर उसके दो पुत्रों के आत्महत्या कर लेने के बाद जहां पूरा गांव सकते में हैं, वहीं पुलिस की लापरवाही की भी परतें खुलने लगी हैं। इस पूरे प्रकरण में पुलिस की जो सबसे बड़ी कमी रही, वह ये कि उसे जिसका साथ देना चाहिए था, उसी पर बिना किसी ठोस आधार और अपराध के दबाव बनाया जा रहा था। प्रारंभिक जांच में सामने आई इन्हीं कमियों को लेकर चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर और एक सपपाही को निलंबित करने के साथ आगे गहनता से जांच कराए जाने की बात अधिकारी कह रहे हैं।
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पिता के बाद दो बेटों ने महिला सिपाही से तंग होकर दी जान
– फोटो : अमर उजाला
रामनरेश के दो पुत्रों मुकेश और सुधीर के आत्महत्या करने के बाद शुक्रवार को ही ये बात सामने आई थी कि अपने मकान पर महिला सिपाही आरती व उसके परिवार की बुरी नजर और विवाद को लेकर रामनरेश कई बार बांकेगंज पुलिस चौकी गया, पर उसकी सुनी नहीं गई।
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पिता के बाद दो बेटों ने महिला सिपाही से तंग होकर दी जान
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रामनरेश पर ही दबाव बनाती थी पुलिस
सूत्र बताते हैं कि बीते बुधवार को दोनों पक्षों को जब पुलिस चौकी पर विवाद निपटाने के लिए बुलाया गया, तो वहां पर पुलिस ने फिर रामनरेश पर दबाव बनाते हुए उसकी मदद करने से हाथ खड़े कर दिए। बुधवार को पूरे घटनाक्रम में चौकी के सिपाही अजय पांडेय की भूमिका संदिग्ध मिली है। राजस्व विभाग के अनुसार जब मकान पर रामनरेश का हक बनता है, तो सवाल ये है कि पुलिस ने उसका साथ क्यों नहीं दिया और सीधे मामले को विवाद क्यों बना दिया।
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पिता के बाद दो बेटों ने महिला सिपाही से तंग होकर दी जान
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पुलिस भी कम जिम्मेदार नहीं
तीन माह से चल रहा यह विवाद बांकेगंज पुलिस चौकी में चार से अधिक बार पहुंचा। पुलिस विभाग में होने की वजह से पुलिस ने हर बार आरती का ही पक्ष लिया। ग्रामीणों का कहना है कि राम नरेश सीधे-साधे थे। विवाद के चलते उसके मन में मकान छीन लिए जाने का डर बैठ गया। पुलिस के सामने वह रोए-गिड़गिड़ाए, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।
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क्या हुआ समझौता कोई नहीं बताने वाला
रामनरेश और उसके पुत्रों की मौत के बाद ये मामला चर्चा में है कि बीते बुधवार को पुलिस चौकी में जबरन समझौता लिखवाया गया था ओर उसके बाद तीन जानें चली गईं। हालांकि अब तक ये बताने वाला कोई नहीं है कि समझौता क्या हुआ था और उसका आधार क्या था। सीओ गोला गवेंद्र गौतम का कहना है कि विवाद के मामलों में जिस तरह से दोनों पक्षों को बुलाया जाता है, वैसा ही इसमें भी किया गया।