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Father and two sons suicide
– फोटो : अमर उजाला
लखीमपुर खीरी के बांकेगंज के बाबूपुर गांव में मकान के मालिकाना हक के विवाद में बुजुर्ग और उनके दो बेटों ने आत्महत्या कर ली। मामले में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। बाबूपुर गांव निवासी सोहनलाल का कहना है कि राम नरेश अपने खुद के घर में गुलामी की जिंदगी जीते थे। सगे फूफा होने के बावजूद आरती उसकी मां, बहन और भाई लगातार प्रताड़ित करते थे। तिलकपुर गांव में दो एकड़ जमीन पर मेहनत वह करता था। मगर फसल राम देवी काटती थीं। मकान छिन जाने के डर से राम नरेश और उसके बच्चों ने आत्महत्या कर ली।
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गांव में पहुंची पुलिस फोर्स
– फोटो : अमर उजाला
तिलकपुर गांव की जमीन भी थी विवाद का कारण
बाबूपुर गांव के ग्रामीणों का कहना है रामनरेश, उसके पुत्रों और महिला सिपाही आरती के बीच विवाद की जड़ मकान ही नहीं, बल्कि तिलकपुर गांव में मुकेश और सुधीर के नाम एक-एक एकड़ जमीन भी थी। जमीन दोनों पुत्रों के नाम थी, मगर उस जमीन पर उगाए गए गन्ने का भुगतान रामदेवी अपने नाम की पर्चियों पर मिल भेजती थी। जबकि फसल में मेहनत, मजदूरी, सिंचाईं, गोड़ाई राम नरेश और उनके दोनों पुत्र करते थे। एक-दो साल पहले राम नरेश के दोनों पुत्रों ने चीनी मिल में सट्टा अपने नाम कराया। इसके बाद आरती और उसके परिवार ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया।
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सुधीर का फाइल फोटो
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गांव निवासी बुजुर्ग राधा बताती हैं कि रामनरेश आरती के परिवार का सारा काम करता था। भैंस के लिए चारा, खेती-बाड़ी में मेहनत वह करता था, लेकिन आरती और उसका परिवार उसकी मेहनत की कमाई अपने पास रखता था। इसके बदले राम नरेश और उसके बच्चों को दो जून की रूखी-सूखी रोटी के सिवा कुछ नहीं मिलता था।
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इसी घर को लेकर था विवाद
– फोटो : अमर उजाला
गांव निवासी हरिश्चंद्र बताते हैं कि राम नरेश ने अपने मकान के लिए गांव निवासी रामरतन से जमीन खरीदी थी। आरती और उसके परिवार का इस जमीन पर कोई हक नहीं बनता है। आपस में रिश्तेदार होने के बावजूद महिला सिपाही आरती उसे काफी परेशान करती थी।
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सुधीर ने छोड़ा सुसाइड नोट
– फोटो : अमर उजाला
बुजुर्ग लालजी का कहना है कि मकान छिन जाने की डर से राम नरेश और उसके बच्चे काफी परेशान रहा करते थे। आरती की प्रताड़ना से तंग आकर तीनों ने आत्महत्या कर ली। अब उसके घर में कोई दिया जलाने वाला तक नहीं बचा।