अगर घर बसाना है तो दामाद को बेटी के साथ अपने माता-पिता से अलग रहना होगा, ये बात एक पिता ने कही। इनकी शह पर बेटी ने पति व ससुरालीजनों के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भारी-भरकम खर्च की मांग की। बरेली के पारिवारिक कोर्ट के न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि महिला के पिता का ये वाक्य उनके दूषित सोच, संस्कार व परिवेश को परिलक्षित करते हैं। इसमें वैवाहिक संस्कारों का कोई मूल्य नहीं है। कोर्ट ने मामले को खारिज कर महिला पर जुर्माना भी लगाया है।

मूल रूप से बारादरी क्षेत्र के माधोबाड़ी की रहने वाली युवती की शादी वर्ष 2018 में मुरादाबाद के ब्रजेश से हुई। ब्रजेश शिक्षक हैं। शादी के एक साल के भीतर ही दंपती के बीच विवाद शुरू हो गया। वर्ष 2020 में महिला ने ससुरालीजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। 15 लाख रुपये मांगने और उत्पीड़न करने का आरोप लगाया।

पत्नी है उच्च शिक्षा प्राप्त 

महिला ने बताया वह कुछ काम नहीं जानती, इसलिए उसे खर्चा दिलवाया जाए। वहीं, ब्रजेश ने कोर्ट में बताया कि उसकी साधारण कमाई से पत्नी के शौक पूरे नहीं हो रहे। वह चाहती है कि मैं अपने माता-पिता का घर बिकवाकर अपना हिस्सा ले लूं और उसके साथ मायके में रहूं। जबकि पत्नी उच्च शिक्षा प्राप्त है और माह में 25 हजार तक कमा लेती है।

चार साल से चल रही सुनवाई में फैसला देते हुए पारिवारिक कोर्ट के जज ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि महिला ऐसा तब कह रही है, जबकि उसके स्वयं के तीन भाई हैं। भविष्य में उसके भाई की पत्नियां भी माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाएंगी। महिला के मुकदमे को खारिज कर उस पर 10 हजार का जुर्माना लगाते हुए विपक्षी को देने के लिए कहा है। 



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