
फिरोज गांधी व इंदिरा गांधी।
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रायबरेली लोकसभा सीट कैसे गांधी परिवार की विरासत बनी इसके पीछे की कहानी दिलचस्प है। बताते हैं कि उस दौरान कांग्रेस नेता फिरोज गांधी के जेहन में दूर-दूर तक रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने की सोच नहीं थी।
वह तो इलाहाबाद से किस्मत आजमाना चाहते थे, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और खांटी कांग्रेसी रफी अहमद किदवई ने फिरोज गांधी से रायबरेली से उतरने की मनुहार की, जिसे फिरोज मना नहीं कर सके और अपनी कर्मभूमि इलाहाबाद को छोड़कर रायबरेली से हमेशा के लिए नाता जोड़ लिया। पहली बार सांसद बने और फिर यही सीट गांधी परिवार की विरासत बन गई। लेकिन आज के हालात बदले हैं। कांग्रेस प्रत्याशी तक नहीं घोषित कर पा रही है।
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इंदिरा भी चुनाव प्रचार के लिए आई थीं बेलीगंज : 1952 के पहले चुनाव में जब फिरोज गांधी मैदान में उतरे तो पत्नी इंदिरा गांधी ने भी प्रचार की कमान संभाली। वह पैदल यात्रा करतीं। बैलगाड़ी से भी गांवों में लोगों से पति के लिए वोट मांगती थीं। वह शहर के बेलीगंज में चुनाव प्रसार के दौरान कई दिनों तक रुकी थीं।
पहले चुनाव में दिखा था कांग्रेस का दम
1952 : विजेता- फिरोज गांधी-158569 (भारतीय कांग्रेस)
कुल मतदाता- 696634
मतदान प्रतिशत- 34.53 प्रतिशत
संसदीय क्षेत्र संख्या- 41
मतदान की तारीख- 27 मार्च 1952
स्रोत : चुनाव आयोग