
“पापा… मम्मी… हमें बचा लो… ये मासूम चीखें अब भी गूंजती हैं, उस पिता के कानों में… जिसकी आंखों के सामने उसके नन्हें फूल तड़पते हुए मुरझा गए।” “एक गर्भवती मां, जलती बस की ओर दौड़ती रही… हर लपट में अपने बच्चों का चेहरा तलाशती रही…” “एक नन्हा बच्चा… जो अभी ”मां” कहना सीख ही रहा था… अब अनाथ हो चुका है।” “किसी ने बचपन का दोस्त खोया… किसी ने बेटी, किसी ने मां…। किसान पथ पर मोहनलालगंज में हरिकंशगढ़ी के पास स्लीपर बस में लगी आग में मासूम भाई-बहन, मां-बेटी और युवक की जिंदा जलकर मौत हो गई।

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बेटे देवराज (4) और बेटी साक्षी (2) की मौत के बाद से राम बालक की पत्नी गुड्डी बेसुध हैं। गुड्डी ने बताया कि उनके पति ने बच्चों को बचाने का बहुत प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके। धुएं की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। गुड्डी सात माह की गभर्वती हैं। प्रशासन की मदद से उनके बच्चों का शव बिहार भिजवाया गया।

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मृतक सोनी व लख्खी देवी।
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उधर, पत्नी लख्खी देवी (60) और बेटी सोनी (26) की मौत से अशोक सदमे में हैं। अशोक ने बताया कि वह दिल्ली से पानीपत जाने वाले थे। बेटी के पति ने चार साल पहले आत्महत्या कर ली थी। तब से सोनी उन्हीं के साथ रहती थी। अशोक ने बताया कि उनके दो बेटे प्रयागराज में रहकर मजदूरी करते हैं। प्रशासन की मदद से अशोक पत्नी और बेटी का शव लेकर प्रयागराज रवाना हो गए। दोनों शवों का अंतिम संस्कार प्रयागराज में ही किया जाएगा।

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नाना और नाती अब एक दूसरे का सहारा।
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ढाई साल पहले सिर से उठा पिता का साया, अब मां भी छोड़कर चली गई
समस्तीपुर निवासी वृद्ध अशोक महतो के लिए यह हादसा जीवन का सबसे बड़ा सदमा बन गया। उनकी बेटी सोनी (26) और पत्नी लख्खी देवी (60) की भी इस बस हादसे में मौत हो गई। ढाई साल पहले दामाद की आत्महत्या से उबरने की कोशिश कर रहे अशोक अब अपने डेढ़ वर्षीय नाती आदित्य की देखरेख को लेकर चिंतित हैं, जो अब अनाथ हो गया है।

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सामने जलते रहे मधुसूदन, पर बचा न पाए साथी
यात्री मधुसूदन (26) अपने दोस्तों के साथ दिल्ली जा रहे थे। उनके साथी रविकिशन ने बताया कि वह मधुसूदन को लपटों में घिरा देखकर कुछ नहीं कर पाए। समय रहते वे और एक अन्य साथी तो बस से निकल गए, लेकिन मधुसूदन को आग ने अपनी चपेट में ले लिया।