forest department also tried honeytrap to catch tiger in Lucknow but unsuccessful caught 10th prey near cage

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बाघ पकड़ने को वन विभाग ने फेंका हनीट्रैप का जाल
– फोटो : अमर उजाला

राजधानी लखनऊ में बाघ को पकड़ने में लगी वन विभाग की भारी भरकम टीम सोमवार को फिर से मात खा गई। बाघ को पकड़ने के लिए जिस पिंजरे के पास भैंस का बच्चा (पड़वा) बांधा गया था, बाघ ने सोमवार की सुबह उसका ही शिकार कर डाला। ये बाघ का 10वां शिकार था, जिसके बाद क्षेत्र में दहशत और बढ़ गई है। तमाम तैयारियों का दावा करने वाला वन विभाग एक बार फिर नाकाम साबित हुआ। बाघ वन टीम की घेरेबंदी से निकल गया। टीम ने जाल लगाकर हथिनियों के साथ घेरा भी बनाया लेकिन बाघ हाथ नहीं आया।

पिंजरे के पास लगे ट्रैप कैमरे में भी बाघ की तस्वीर कैद हुई है। अब बाघ को शिकंजे में फंसाने के लिए एक्सपर्ट नई जगह पिंजरे के साथ हनी ट्रैप लगा रहे हैं। यहां उसे बाघिन की आवाज सुनाकर और बाघिन के मूत्र की गंध से आकर्षित करने की योजना है।




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बाघ पकड़ने को वन विभाग ने फेंका हनीट्रैप का जाल
– फोटो : अमर उजाला

बताया जा रहा है कि बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने नई योजना के तहत बाघ को भैंस के पड़वे का शिकार करवाया है। बाघ पड़वे का शिकार कर लगभग चार किलो गोश्त खाकर बचा मांस जंगल की ओर लेकर भाग निकला है।

 


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दहशत के साथ बढ़ा आक्रोश

वन विभाग की टीम के इंतजाम को धता बताते हुए पड़वे का शिकार कर बाघ के भाग निकले से ग्रामीणों में दहशत और बढ़ गई है। इसके साथ ही आक्रोश भी बढ़ रहा है। ग्रामीण मानते हैं कि वन विभाग की टीम जिस तरह से वाहनों का प्रयोग कर चक्रमण कर रही है, उससे बाघ को सतर्क होकर स्थान बदलने का मौका मिल रहा है।

बाघ को दबोचने के लिए आजमा रहे हनीट्रैप

बाघ को पकड़ने के लिए टाइगर एक्सपर्ट एक नई तरकीब और जुगत लगा रहे हैं। पिंजरे में शिकार बांधने के साथ ही युवा बाघ को मादा बाघिन का भ्रम पैदा कर हनी ट्रैप में लेने की योजना बनाई गई है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बाघ के रेस्क्यू में यह आइडिया काम कर सकता है।

 


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बाघ को सुनाई जा रही बाघिन की दहाड़

डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया बाघ की घेराबंदी करने व बाघ को एक जगह स्थिर करने के लिए मादा बाघ की आवाज की रिकॉर्डिंग को तेज ध्वनि वाले लाउडस्पीकर के जरिए संस्थान के अंदर बनाये गए मचान के पास लगाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मादा बाघिन की आवाज सुनकर बाघ मेटिंग के लिए आकर्षित होकर ट्रैप हो सकता है।

पिंजरे में डाला गया बाघिन का मूत्र

डीएफओ ने बताया कि कानपुर और लखनऊ चिड़ियाघर से बाघिन का मूत्र मंगा कर सोमवार को पिंजरे में डाला गया है। इससे भी बाघ के आकर्षित होने की संभावना है। साथ ही दोनों हथिनियां सुबह-शाम बाघ के पगचिह्नों के सहारे कांबिंग कर रही हैं।

 


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बाघ के रेस्क्यू में मादा हाथी का प्रयोग क्यों

वन विभाग के जानकारों बताते हैं कि हाथी एक विशालकाय जानवर होता हैए जिसे देखकर बाघ आक्रामक नहीं होता है। आम तौर पर बाघ हाथी से बचने का प्रयास करता है। जबकि हाथी पर सवार विशेषज्ञ इस दौरान आसानी से बाघ को पकड़ने का प्रयास करते है। नर की तुलना में मादा हाथी शांत और गंभीर होती हैं। इसीलिए हमेशा बाघ को पकड़ने के लिए नर हाथी की जगह हथिनियों का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि ये विषम परिस्थितियों में भी संयमित व्यवहार करती हैं।

उत्तर प्रदेश की प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव अनुराधा वेमुरी ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए लगातार कांबिंग की जा रही है। वहां जंगल घना है, इसलिए ट्रैंक्युलाइज करने में दिक्कतें आ रही हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भी लगाई गई है।

वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर जाकर कांबिंग का नेतृत्व करने के निर्देश दिए गए हैं। उम्मीद है कि जल्दी ही सफलता मिलेगी।

 




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