
पानी की टंकी चढ़ा युवक
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विरासत के मुकदमे में तहसीलदार के आदेश से क्षुब्ध होकर एक युवक तहसील कंपाउंड में बनी पानी की टंकी पर पेट्रोल लेकर चढ़ गया। जिससे प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। उपजिलाधिकारी समेत पूरा प्रशासनिक अमला युवक से नीचे उतरने की गुहार लगाता रहा। उसके वकील के आश्वासन पर एक घंटे बाद नीचे उतारा जा सका। जबतक प्रशासन की सांसें फूली रहीं। लिखित आदेश के बाद वह माना और टंकी से नीचे उतरा।
पीड़ित आनंद तिवारी निवासी ग्राम पचवारा का विरासत का मुकदमा तहसीलदार के यहां चल रहा है, जिसमें 28 अगस्त 2024 को उसके खिलाफ आदेश पारित होने पर वह क्षुब्ध हो गया एवं एक केन में पेट्रोल लेकर तहसील कार्यालय के पीछे बनी पानी की टंकी पर चढ़ गया और तहसीलदार मुर्राबाद के नारे लगाने लगा। जिसे देखकर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए।
तत्काल अग्निशमन विभाग को सूचना दी गई, उसके वकील बैजनाथ तिवारी को उपजिलाधिकारी ने बुलाया एवं उसे समझाकर नीचे उतरवाने के लिए कहा। लेकिन वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं हुआ। वह तहसीलदार द्वारा उसके खिलाफ किए गए आदेश के वापस लेने की मांग करता रहा। जबतक उसने आदेश वापस लिखित में नहीं देख लिया तब तक वह नीचे नहीं उतरा।
उपजिलाधिकारी गोपेश तिवारी ने बताया कि उसके दादा काशी प्रसाद की तीन संतान थीं। ओमप्रकाश, रामप्रकाश, महादेव एवं तीन नाती थे। आनंद तिवारी, योगेश, महेश को काशीप्रसाद ने अपनी संपत्ति योगेश, महेश को 2016 में वसीयत कर दी थी। जिसे लेकर 2019 में तहसीलदार द्वारा वसीयत के आधार पर योगेश, महेश के पक्ष में फैसला सुना दिया था।
जिसकी अपील उपजिलाधिकारी के न्यायालय में की गई थी। जिसमें तहसीलदार को पुन सुनवाई के आदेश दिए गए थे। तहसीलदार ने 28 अगस्त को पुन पूर्व आदेश को बहाल करते हुए आदेश पारित कर दिया। जिससे वह क्षुब्ध हो गया एवं पानी की टंकी पर चढ़ गया। पीड़ित आनंद तिवारी का आरोप है कि योगेश, महेश ने दादा काशी प्रसाद को गुमराह कर 2016 में वसीयत पर दस्तखत करा लिए थे। फिलहाल लिखित कार्रवाई की जांच के बाद वह टंकी से नीचे उतरा।