तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है

मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है।

मशहूर कवि अदम गोंडवी की यह रचना आगरा के वायु प्रदूषण पर एकदम सटीक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों में बृहस्पतिवार को आगरा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 149 और छह जगह लगे ऑटोमेटिक स्टेशनों में एक्यूआई 100 से 189 के बीच रहा। आंकड़ों के इस फर्जीवाड़े की पोल शहर के 39 चौराहों पर लगे पर्यावरण सेंसरों ने खोल दी। इन सेंसरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 400 के बीच दर्ज किया गया। दिवाली के बाद से शहर में एक्यूआई 300 के पार है, जबकि आधिकारिक समीर एप पर यह 80 से 150 के बीच ही बना हुआ है।

बृहस्पतिवार को शहर में स्मॉग की घनी चादर छाई रही। मौसम विज्ञानियों ने इसे कोहरा नहीं, बल्कि स्मॉग करार दिया। स्मॉग की घनी चादर के बाद भी शहर में रोहता की वायु गुणवत्ता दिनभर 100 के नीचे रही जो मानसून की तरह दर्ज की गई, जबकि स्मार्ट सिटी के उपकरणों में यह 408 दर्ज की गई। आंकड़ों से छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद आगरा स्मार्ट सिटी के पर्यावरण सेंसर और उपकरणों की रिपोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 




शहर के चौराहों पर एक्यूआई ये रहा

चौराहा एक्यूआई

आईएसबीटी 410

सुल्तानपुरा 408

राजेश्वर मंदिर 413

धूलियागंज 407

पुरानी मंडी 385

संजय प्लेस 373

स्टेट बैंक 398

तहसील चौराहा 307

छीपीटोला 390

राजामंडी 369

आईसीसीसी 390

नामनेर 349

 


सीपीसीबी के सरकारी आंकड़ों में हवा ऐसी

जगह             एक्यूआई

मनोहरपुर 189

रोहता             100

संजय प्लेस 166

आवास विकास 152

शाहजहां पार्क 134

शास्त्रीपुरम 167

 


एक ही इमारत, प्रदूषण का आंकड़ा अलग

नगर निगम की छत पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का संयुक्त ऑटोमेटिक स्टेशन लगा है। बृहस्पतिवार को इस स्टेशन का एक्यूआई शाम 6 बजे 166 दर्ज किया गया। इसी स्टेशन के ठीक नीचे आगरा स्मार्ट सिटी ऑफिस में बने आईसीसीसी (इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर) सेंटर पर स्मार्ट सिटी के पर्यावरण उपकरण में शाम 6 बजे ही एक्यूआई 390 दर्ज किया गया।

 


ताज पर भी आंकड़े अलग-अलग

ताजमहल के पास पुरानी मंडी में आगरा स्मार्ट सिटी ने एक्यूआई 385 बताया तो पुरानी मंडी पर शाहजहां पार्क में लगे यूपीपीसीबी के ऑटोमेटिक स्टेशन पर एक्यूआई 134 दर्ज किया गया। आंकड़ों में तीन गुने का यह फर्क लोगों को उलझा रहा है, जबकि उनके मोबाइल फोन पर गूगल के जरिए आ रही एयर क्वालिटी रिपोर्ट में भी यह आंकड़ा 385 के करीब ही बना रहा। इसीलिए सरकारी आंकड़ों पर लोगों ने सवाल खड़े किए हैं।

 




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