– लोगों ने विदेशी कपड़ों की जला दी थी होली
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अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। रानी के झांसी से महात्मा गांधी का गहरा नाता रहा है। आजादी के आंदोलन के दरम्यान वे तीन बार यहां आए थे। उन्होंने किले में जाकर रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धासुमन भी अर्पित किए थे। झांसी आगमन पर गांधी को अपार जनसमर्थन हासिल हुआ था। उनके आह्वान पर यहां विदेशी कपड़ों की होली भी जलाई गई थी।
देश की आजादी का पहला संग्राम सन 1857 में झांसी की धरती पर हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था। यही वजह थी कि महात्मा गांधी का झांसी से विशेष लगाव था। आजादी के आंदोलन के दरम्यान सन 1921 से 1929 के दरम्यान वे तीन बार झांसी आए थे। अपने तीनों दौरों के दरम्यान वे एसपीआई इंटर कॉलेज में ठहरे थे। उनका स्मृति कक्ष अब भी विद्यालय में स्थित है। 1921 में पहली बार झांसी आने पर गांधी किले में भी गए थे और वहां जाकर उन्होंने रानी को श्रद्धासुमन अर्पित किए थे।
रानी की याद में एक प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया था। यहां सुभाषगंज (तब हार्डी गंज) में उन्होंने सभा भी की थी। गांधी को यहां अपार जनसमर्थन हासिल हुआ था। गांधी से प्रेरित होकर झांसी के लोगों ने यहां विदेशी कपड़ों की होली भी जलाई थी। इसके अलावा लोगों ने आजादी के आंदोलन के लिए चंदा इकट्ठा कर गांधी को पांच सौ रुपये की थैली भी भेंट की थी।
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कस्तूरबा गांधी की गहनों से भर दी थी झोली
झांसी। सन 1929 में गांधी के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी यहां आईं थीं। वह उनके साथ मोंठ भी गईं थीं। मोंठ में महिलाओं ने अपने गहनों से कस्तूरबा गांधी की झोली भर दी थी। महिलाओं ने अपने गहने भेंट कर गांधी को आजादी के आंदोलन में सहयोग प्रदान किया था।
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सैकड़ों लोगों पर दर्ज हुए थे मुकदमे
इतिहासविद् मुकुंद मेहरोत्रा ने बताया कि आजादी के आंदोलन के दरम्यान महात्मा गांधी तीन बार झांसी आए थे और उन्हें यहां अपार जनसमर्थन हासिल हुआ था। यहां हालांकि, बाद में गांधी का समर्थन करने वाले दर्जनों लोगों पर ब्रिटिश पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। बावजूद, लोग देश की आजादी के लिए सक्रियता के साथ आंदोलन से जुड़े रहे थे।