Ganga Dussehra 2025 गंगा दशहरा 2025 के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर ज़िले में स्थित ऐतिहासिक तीर्थ स्थल शुकतीर्थ में श्रद्धा और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह 4:00 बजे से ही श्रद्धालुओं ने माँ गंगा की निर्मल धारा में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना की। पूरे क्षेत्र में “हर-हर गंगे”, “जय-जय गंगे” के दिव्य उद्घोष गूंजते रहे। इस बार मेले में अनुमानतः एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिससे शुकतीर्थ में जनसैलाब सा नजारा देखने को मिला।
शुकदेव मुनि की तपोभूमि बना श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शुकतीर्थ वही स्थान है जहाँ वट वृक्ष के नीचे शुकदेव मुनि ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई थी। श्रद्धालुओं ने इस ऐतिहासिक वृक्ष की परिक्रमा कर मनोकामना पूर्ति के लिए धागे बांधे और दिव्य तोते के जोड़े के दर्शन किए। यह स्थल गंगा दशहरा पर विशेष रूप से जाग्रत माना जाता है, और हजारों श्रद्धालु यहाँ प्रतिवर्ष पहुंचते हैं।
बच्चों का मुण्डन और विशेष पूजन में जुटे श्रद्धालु
गंगा घाट पर बच्चों का मुण्डन पारंपरिक विधि-विधान के साथ किया गया। विभिन्न पूजा अनुष्ठान, यज्ञ और दान की प्रक्रिया श्रद्धालुओं द्वारा पूरी आस्था और श्रद्धा से की गई। माँ गंगा को दूध, पुष्प, दीप और वस्त्र अर्पण कर श्रद्धालुओं ने स्नान के पश्चात अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान भी किया।
78 फीट की हनुमान मूर्ति और 54 फीट की गणेश प्रतिमा बनीं भक्तों का केंद्र
हनुमत धाम में हनुमान जी की 78 फीट ऊंची प्रतिमा को देखकर श्रद्धालुओं ने जय श्री राम के नारों से पूरा क्षेत्र गुंजा दिया। वहीं गणेश धाम में स्थापित भगवान गणेश की 54 फीट ऊंची प्रतिमा भी विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
दर्शनार्थियों ने बड़ी श्रद्धा से दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं मांगी।
पूरे शुकतीर्थ क्षेत्र में भक्ति का अद्वितीय संगम
शुकदेव आश्रम के साथ ही पूर्णागिरि आश्रम, शिव धाम, दुर्गा धाम, पीताम्बरा धाम, तिलकधारी आश्रम, महेश्वर आश्रम, गौड़ीय मठ, दण्डी आश्रम, शनि धाम और महाशक्ति सिद्ध पीठ जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों पर भक्तों ने मंदिरों के दर्शन कर साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया। मेले के दौरान सत्संग, कथा वाचन, भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचन भी आयोजित किए गए।
गहरे पानी से बचाव के लिए मोटरबोट से निगरानी
भीड़ को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गंगा घाट पर पीएसी बल की तैनाती की गई थी। मोटरबोट्स के जरिए लगातार निगरानी की गई और श्रद्धालुओं को गहरे पानी में न जाने की सलाह दी गई। खोया-पाया केंद्र की स्थापना भी की गई, जहाँ खोए हुए बच्चों और सामान को उनके परिजनों तक पहुँचाने की व्यवस्था की गई।
गंगा और सोलानी नदी के संगम तक मोटरबोट यात्रा ने बढ़ाई भक्ति की अनुभूति
श्रद्धालुओं ने स्नान के पश्चात मोटरबोट में बैठकर गंगा और सोलानी नदी के पवित्र संगम तक की यात्रा की। इस यात्रा को भक्तों ने आंतरिक शांति और अध्यात्मिक अनुभव के रूप में लिया। गंगा की लहरों पर तैरती नावों से उठती मंत्रध्वनियाँ और भक्ति गीतों की गूंज श्रद्धा की भावना को और प्रगाढ़ बनाती रही।
धार्मिक परंपराओं की जीवंत प्रस्तुति ने बनाया शुकतीर्थ को विशेष
शुकतीर्थ में आयोजित इस गंगा दशहरा मेले ने भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का ऐसा समागम प्रस्तुत किया जो दुर्लभ होता है। हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ इस पर्व को मनाया और भविष्य में भी इस पावन भूमि पर आकर पुनः आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की। गंगा दशहरा का यह पर्व न केवल स्नान का अवसर था, बल्कि आत्मशुद्धि, सामाजिक एकता और धार्मिक चेतना का जीवंत उदाहरण भी बन गया।
गंगा दशहरा 2025 के इस अद्वितीय आयोजन में शुकतीर्थ ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि आस्था और श्रद्धा की शक्ति से बड़ी कोई व्यवस्था नहीं होती। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और शांतिपूर्ण आयोजन ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। माँ गंगा की कृपा से यह पर्व हर वर्ष नई ऊर्जा और आध्यात्मिक चेतना के साथ भारतीय संस्कृति की जड़ों को और मज़बूत करता रहेगा।