
सुबह के साथ ही गंगाघाटों के मंदिरों में जैसे ही घंटे घडिय़ाल की आवाजें सुनाई दीं। वैसे ही श्रद्धालुओं ने हर हर गंगे के जयकारे लगाते हुए गंगा में डुबकी लगाना शुरू कर दिया। जैसे जैसे दिन खुलता गया वैसे ही वैसे श्रद्धालुओं की संख्या गंगाघाटों पर बढ़ती जा रही थी।
सुबह 6 बजे सभी गंगाघाटों पर चारों ओर श्रद्धालुओं की भीड़ का आलम ही नजर आ रहा था। हर कोई गंगा की रेतीली तलहटी में दौड़ता हुआ गंगा की धार की ओर बढ़ रहा था जिससे वह जल्दी गंगा स्नान कर सके। श्रद्धालुओं के बीच ऐसी प्रतिस्पर्धा दिखाई दे रही थी।
दूरस्थ इलाकों के लोग रात को ही यहां पहुंच गए थे, सुबह के समय गंगास्नान करने के पश्चात वापस प्रस्थान कर गए। वहीं आस पास के इलाके के लोगों का दोपहर तक पहुंचने का सिलसिला जारी रहा।
तमाम श्रद्धालु गंगा मां का दूध से अभिषेक करते नजर आए। पूजा अर्चना का सिलसिला दिनभर गंगाघाटों पर चलता रहा। गंगाघाटों पर भंडारे के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। जहां श्रद्धालु साधू, संतों और भिक्षुओं को भोजन कराके दान दक्षिणा भेंट कर रहे थे।