
सांकेतिक तस्वीर।
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सोने की तस्करी का नेटवर्क गोरखपुर से कोलकाता तक जुड़ा हुआ है। इसमें शामिल लोग अपने संबंधों के सहारे बैंकाक से अवैध सोने की खेप भारत लाते हैं और फिर कोलकाता में तय होता कि इसे कहां भेजा जाएगा। ज्यादातर माल गोरखपुर के आसपास ही खपाया जाता है। विदेशी सोना लाने में 20 फीसदी की टैक्स चोरी होती है, वहीं बैंकाक का सोना सौ फीसदी खरा माना जाता है। लिहाजा नकली हॉलमार्क वाले जेवरों पर इसकी परत चढ़ाने पर यह पूरी तरह से असली दिखता है।
डीआरआई की टीमों की अभी तक की पड़ताल में सामने आया है कि इस नेटवर्क में तीन टीमें काम करती हैं। एक बैंकाक से आने वालों से संपर्क करके उनसे सोना मंगाते हैं। दूसरी टीम एयरपोर्ट से सोना लेकर कोलकाता और फिर गोरखपुर आती है। वहीं, तीसरी टीम सोने को धंधे में लिप्त स्वर्ण कारोबारियों तक पहुंचाती है।
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लंबे समय से खपता है हिंदी बाजार में ऐसा सोना
गोरखपुर से पकड़ा गया संतोष लंबे समय से हिंदी बाजार में अवैध सोने का खपाने का काम करता था। ऐसे ही अक्षया तृतीया के पहले भी संतोष गुप्ता अपने सहयोगियों के सहारे कोलकाता से अवैध सोने की खेप गोरखपुर लेकर आया था। हिंदी बाजार के सराफा कारोबारी, जो पहले से ही अवैध सोने की खरीद करते थे, उन्हें बेच दिया था। पिछले दिनों फर्जी हॉलमार्किंग पर हुई कार्रवाई के बाद बाजार में भी लोग सतर्क हो गए थे।
ऐसे में तस्कर को अक्षय तृतीया के समय अवैध सोने के बदले नकद भुगतान नहीं हुआ था। इसी बीच ये सूचना भी डीआरआई की टीम को लग गई। टीम के सदस्य संतोष के साथ उसके सहयोगियों और बाजार के खरीदार सराफा व्यापारियों पर भी नजर रखने लगे।
सूचना मिली कि बुधवार को संतोष के पास उसके द्वारा बेचे गए अवैध सोने की रकम मिल जाएगी। इसी सूचना पर बुधवार की दोपहर तीन बजे के करीब डीआरआई की टीम सीधे संतोष के किराए के घर पर पहुंच गई।