{“_id”:”66ef1d5c2a75539c53083644″,”slug”:”good-news-road-will-be-built-in-kuiyazor-after-50-years-orai-news-c-224-1-ka11004-119973-2024-09-22″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”खुशखबरी: 50 साल के बाद कुइयाझोर में बनेगी सड़क\nखर्च होंगे ढाई करोड़”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}

आटा। आजादी के अमृत काल में कुइयाझोर की आखिर अधिकारियों को याद आ ही गई। करीब 50 साल बाद इस मजरे को शहर से जोड़ने के लिए सड़क मिलेगी। कालपी-राठ मार्ग से 2.2 किलोमीटर की पक्की सड़क को बनाकर मजरे को शहर से जोड़ा जाएगा। इसमें करीब ढाई करोड़ की लागत आ सकती है। इस समस्या को अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। तब शासन-प्रशासन ने इसे संज्ञान लिया।

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गांव परासन के मजरे कुइयाझोर में सड़क न होने से 12 सितंबर को अच्छेलाल की मौत इलाज न मिल पाने के कारण हो गई थी। सड़क कच्ची होने से गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई थी। जब उन्हें चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाया जा रहा था, इसी बीच रास्ते में वृद्ध ने दम तोड़ दिया था। इस समस्या पर अमर उजाला ने खबरें प्रकाशित कीं। ग्रामीणों ने बताया था कि करीब ढाई किलोमीटर की कच्ची सड़क है, जो बारिश में दलदल बन जाती है। जिससे गांव में आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता है।

अमर उजाला ने 20 अप्रैल के अंक में 21वीं सदी में शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे नौनिहाल, 13 सितंबर के अंक में कच्ची सड़क ने ले ली वृद्ध की जान, 17 सितंबर के अंक में 50 साल से सड़क न होने से बिना इलाज कई की जान गई खबरों को प्रकाशित किया है। खबर प्रकाशित होने के बाद शासन ने इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन को आदेश दिए थे।

शुक्रवार को कालपी तहसीलदार अभिनव तिवारी और पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता महेंद्र सिंह व जेई अतुल पाल अपनी टीम के साथ पहुंचे। इन्होंने गांव के दोनों तरफ के रास्ते यानी करीब छह किलोमीटर का सफर पैदल तय किया। नापजोख कर 2.2 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए कागज तैयार किए। लेकिन अभी भी दो समस्याएं उनके सामने आ रही हैं। सड़क के रास्ते में कुछ किसानों की जमीन और वन विभाग की जमीन आ रही है।

अधिकारियों ने कहा कि किसानों व वन विभाग से बात की जा रही है। एक सप्ताह में स्टीमेट बनाकर शासन को भेजा जाएगा। वैसे तो एक किलोमीटर की सड़क निर्माण में करीब 80 लाख का खर्च आता है, लेकिन किसानों और वन विभाग के मुआवजा में बजट ज्यादा खर्च होगा। करीब ढाई से तीन करोड़ रुपये का स्टीमेट बन सकता है। फिलहाल अधिकारी किसानों से बातचीत कर रहे हैं। तहसीलदार ने बताया कि पैदल सर्वे करके रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। एक सप्ताह के अंदर शासन को भेज दी जाएगी।

वर्जन-

पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के साथ पैदल निरीक्षण किया। जगह देखी गई है कि कहां से कहां तक सड़क बनेगी। सब ठीक-ठाक रहा है। किसानों की जमीन का मुआवजा दिया जाएगा। इसकी रुपरेखा बन रही है। -अभिनव तिवारी, तहसीलदार,कालपी

वर्जन

राठ कालपी मार्ग का निर्माण राज्य सड़क निर्माण योजना के तहत होगा। इस सड़क से करीब 400 लोगों को सहूलियत मिलेगी। सड़क निर्माण के लिए स्थलीय निरीक्षण किया गया था। जमीन कई किसानों और वन विभाग के क्षेत्र में आ रही है। जिसको लेकर अधिकारियों से बात की जा रही है। स्टीमेट बनाकर भेजा जा रहा है। -महेंद्र सिंह, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी, निर्माण खंड तीन



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