
कार (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में कार में अगवा करने के बाद फ्लैट में बंधक बनाकर करोड़ों की जमीन नाम करा लेने का मामला सामने आया है। छूटने पर थाना न्यू आगरा में जिम संचालक मनोज शर्मा ने केस दर्ज कराया है। उन्होंने मुकदमे में युवा अधिवक्ता संघ के संरक्षक सुनील शर्मा, मंडल अध्यक्ष नितिन वर्मा सहित 5 नामजद और 20-25 अज्ञात को आरोपी बनाया है। पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।
अमर वाटिका, केके नगर निवासी मनोज कुमार शर्मा ने पुलिस को बताया कि 31 जनवरी को वो दीवानी आए थे। तभी अधिवक्ता सुनील शर्मा, उमेश शर्मा, नितिन वर्मा और अन्य 20-25 अज्ञात लोग मिले। लोगों ने घेरकर मारपीट की। अपहरण कर लिया। सुनील शर्मा की कार में डालकर लायर्स काॅलोनी में तीन मंजिला फ्लैट में ले गए। आरोपियों ने मारपीट की। उमेश जोशी ने रिवाल्वर लगा दी। गले में बिजली का तार डालकर गला घोटने लगे। उसी समय दस्तावेज लेखक राम उपाध्याय व उसका बेटा व अन्य लोग आ गए। उनके पास एक लिखित स्टांप पेपर था। इस पर उनका फोटो विक्रेता के रूप में लगा था।
उन्होंने रिवाल्वर से जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद कागजों पर हस्ताक्षर और अंगूठा लगवा लिया। अपराह्न 3:30 बजे तक बंधक बनाकर रखा। दस्तावेज लेखक पिता-पुत्र स्टांप और कागजात लेकर चले गए। डेढ़ घंटे बाद दोबारा आए। कुछ स्टांप पर उनके और सुनील शर्मा के फोटो लगे थे। जबरदस्ती हस्ताक्षर करा लिए। फोन भी छीन लिया था। दो लोग दीवानी छोड़ गए। आरोप लगाया कि कूटरचित दस्तावेज तैयार करके उनकी भावना एस्टेट के पास स्थित 1107 वर्गगज जमीन अपने नाम करा ली गई है।
सीसीटीवी कैमरों से मिले साक्ष्य
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि मुकदमा बलवा, मारपीट, अपहरण, जान से मारने की धमकी, बंधक बनाने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, आपराधिक षड्यंत्र की धारा में दर्ज किया है। इसमें सुनील शर्मा, उमेश शर्मा, नितिन वर्मा, राम उपाध्याय, उसका बेटा और 20-25 अज्ञात आरोपी हैं। पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर जांच की थी। घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज देखे गए। कुछ साक्ष्य मिले हैं। इसके आधार पर ही मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना की जा रही है।
मनोज ने वापसी बैनामा कराया था तैयार
मुकदमे में नामजद युवा अधिवक्ता संघ के संरक्षक सुनील शर्मा का कहना है कि मनोज शर्मा ने उनसे 1106 वर्ग गज जमीन खरीदी थी। इसके 3.58 करोड़ रुपये शेष हैं। उनके पास चेक, एग्रीमेंट और लिखित दस्तावेज भी हैं। मनोज ने रुपये न दे पाने पर खुद ही वापसी बैनामा तैयार कराया था, जो अब तक रजिस्टर्ड नहीं हुआ है। आरोप निराधार हैं। संपत्ति मनोज शर्मा ने किसी दूसरे के लिए खरीदी थी। बैनामी बनाने के लिए मनोज दूसरों के लिए काम करता है। उन्होंने पुलिस को आयुक्त को प्रार्थनापत्र दिया है।