एसटीएफ ने अलीगढ़ में क्वार्सी के जीवनगढ़ इलाके से सरकारी साइटों को हैक कर कूटरचित आधार कार्ड बनाने वाले जिस गिरोह का भंडाफोड़ किया है। उसके बड़े कारनामों से भी इन्कार नहीं किया जा रहा। ऐसे भी साक्ष्य मिले हैं जिससे साफ हो रहा है कि इस गिरोह ने भारतीय नागरिकों के साथ-साथ रोहिंग्या-घुसपैठियों तक के आधार कार्ड बनाए हैं। यह नेटवर्क पश्चिम बंगाल में भारतीय सीमा से शुरू हुआ और देश की कई साइटों को हैक करते हुए फर्जीवाड़ा करता रहा। फिलहाल इनसे मिले चार लैपटॉप के जरिये उनके तीन साल के डेटा की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है, जिसके लिए लैपटॉप सहित सभी उपकरण साइबर लैब भेजे जा रहे हैं।

एसटीएफ लखनऊ यूनिट ने बृहस्पतिवार तड़के जीवनगढ़ गली नंबर 12 में संचालित जनसेवा केंद्रों पर छापा मारकर उनके संचालक साजिद हुसैन व नईमुद्दीन को दबोचा था। इन दोनों व इनके सरगना सहित तीन फरार साथियों पर मुकदमा दर्ज कराकर दोनों को जेल भेज दिया गया। इस मामले में विवेचना अब क्वार्सी पुलिस द्वारा की जा रही है। जिसमें सबसे पहले दोनों से मिले 4 लैपटॉप की साइबर विशेषज्ञ से फॉरेंसिक जांच कराने की तैयारी है। इस विषय में एसटीएफ के उच्च पदस्थ सूत्र साफ-साफ बताते हैं कि पकड़ा गया साजिद पूर्व में आधार बनाने वाली कंपनी में काम करता था। 

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उसके संपर्क उसके साथ के काम करने वाले ऐसे लोगों से हुए, जो पश्चिम बंगाल में भारतीय सीमा पर इसी तरह फर्जीवाड़ा कर आधार कार्ड बनाने का धंधा कर रहे थे। उनके व गुजरात की आधार बनाने वाली कंपनी के अपने परिचित प्रशांत के जरिये ही साजिद दिल्ली के आकाश के संपर्क में आया। उसने जब साजिद से यह काम शुरू कराया तो पिछले तीन वर्ष में साजिद ने अपना नेटवर्क अलीगढ़ के साथ साथ पश्चिमी यूपी के हाथरस, बुलंदशहर, मेरठ, कासगंज, एटा, बदायूं, संभल, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर आदि के उन मुस्लिम आबादी वाले जिलों में बनाया। जहां उसे आधार कार्ड बनाने वाले ग्राहक आसानी से मिल सकें।


इस बात से बिल्कुल इन्कार नहीं किया जा सकता कि साजिद व उसके साथी ने अपने दिल्ली के हैकर की मदद से रोहिंग्या व अन्य तरह के घुसपैठियों के आधार कार्ड न बनाए हों। खुद एसटीएफ के इनपुट की शुरुआत भी इसी तरह हुई। मगर इसकी तस्दीक इनसे बरामद कंप्यूटर सिस्टमों की साइबर विशेषज्ञ से फॉरेंसिक जांच से हो सकेगी। उसमें डेटा व जिन लोगों के कार्ड बने हैं, उनके नंबर निकलवाए जाएंगे। इन्होंने पिछले तीन वर्ष में कितने लोगों से रुपये लिए हैं, वह भी जांच का आधार होगा। इसके बाद ही सही तथ्य निकलकर आएगा। यह प्रक्रिया शुरू कराई जा रही है।-मृगांक शेखर पाठक, एसपी सिटी


इस मामले में अभी आकाश, अमित व शरद की तलाश में टीमें लगी हैं। साथ में इनके द्वारा संचालित की गईं साइटों व सिस्टमों की आईपी जांचने के लिए साइबर विशेषज्ञ की मदद ली जा रही है। उसी अनुसार जल्द आगे कदम बढ़ाया जाएगा।-सर्वम सिंह, सीओ तृतीय




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