नागर शैली में पत्थरों से बना है समूचा मंदिर
समूचा मंदिर पत्थरों का नागर शैली में बना है। इसका निर्माण अब पूरा हो चुका है। भूतल पर रामलला और प्रथम तल पर राम परिवार विराजित हैं। कलश और ध्वज दंड स्थापित हो चुके हैं। मंदिर के चारों ओर 800 मीटर आयताकार पत्थरों का परकोटा तैयार है। परकोटा 14 फीट चौड़ा है। इसके कोनों पर शिवलिंग, गणपति, सूर्य देव और मां भगवती विराजमान हैं।
दक्षिणी भुजा में हनुमान जी, उत्तरी भुजा में माता अन्नपूर्णा के मंदिर बने हैं। इन पर भी कलश और ध्वज दंड लग चुके हैं। इन मंदिरों में प्रतिमाओं की पूजा हो रही है। इनकी प्राण प्रतिष्ठा जून माह में हो गई थी। राम मंदिर के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर लक्ष्मण जी का मंदिर बनकर तैयार है। इसका नाम शेषावतार है।
तुलसीदास का भी मंदिर बनकर तैयार
सप्त मंडप यानी महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और माता अहिल्या के भी मंदिर बन चुके हैं। तुलसी दास जी का भी मंदिर बनकर तैयार है। सभी प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी हैं। कुबेर टीला पर जटायू और अंगद टीला पर गिलहरी की स्थापना हो चुकी है।
श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार, इसके अलावा तीर्थ यात्रियों की सुविधा और उनको अधिक से अधिक सुगमता हो, इसके लिए जितनी भी आवश्यक व्यवस्थाएं हैं, उनका भी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अधिक से अधिक भक्तों की भीड़ दर्शन कर पा रही है, यह व्यवस्था के कारण संभव हो पा रहा है।




