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सामूहिक विवाह समारोह
– फोटो : अमर उजाला
बिलसंडा ब्लॉक के काउंटर पर सामान का बैग लेकर खड़े अरविंद ने बताया कि बैग में साड़ी और पगड़ी नहीं है। काफी मनुहार के बाद कर्मचारी ने दूसरा बैग दिया। उसमें भी पगड़ी नहीं थी। रंजीत के बैग में भी पगड़ी नहीं निकली। दो बार बदलने के बाद पगड़ी मिली।

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बीसलपुर ब्लॉक क्षेत्र से आए हरिओम ने बताया कि बहन की शादी है। बैग में पूरा सामान नहीं मिला। रबीना और सज्जादा को हिंदू जोड़े के सामान का बैग थमा दिया गया। शबनम और राशिद को भी हिंदू जोड़े का बैग थमाया गया। इसी तरह कई हिंदू जोड़ों को मुस्लिम जोड़े का बैग थमा दिया गया।

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हाथ में खाली प्लेट लेकर भटकते रहे दूल्हा-दुल्हन
जिन जोड़ों के नाम पर इतना बड़ा आयोजन हुआ, वे अव्यवस्थाओं से जूझते दिखे। आधे जोड़ों की शादी रस्में पूरी हुईं तो वर-वधू और परिजन खाने के पंडाल में पहुंच गए। लोगों की भीड़ पहुंचते ही इंतजाम और प्रशासन के दावे फेल हो गए। किसी को चावल मिले तो किसी ने पूड़ी सब्जी से ही काम चलाया। दूल्हा-दुल्हन जमीन पर बैठकर खाना खाते दिखे। पूड़ी और सब्जी के लिए धक्का-मुक्की होती रही।

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रिफाइंड की खाली पन्नी में भरा पानी, बुझाई प्यास
पेयजल की व्यवस्था के नाम पर खाने के पंडाल के पीछे थोड़ी दूरी पर नगरपालिका के दो टैंकर खड़े कराए गए थे। वर-वधू और परिजन इसी टैंकर की टोंटी से प्यास बुझाते दिखे। कुछ परिजनों ने पन्नी में पानी भरा और ले जाकर साथियों को दिया। कुछ ने खाने के पंडाल के पास पड़ी रिफाइंड की खाली पन्नी में पानी भरकर साथियों की प्यास बुझाई।

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टोकन न देख धक्का देकर किया लाइन से बाहर
बैग के साथ ही जोड़ों को खाने के टोकन दिए गए। पंडाल के बाहर एक कर्मचारी को बैठाया गया। जिनके हाथ में टोकन नजर नहीं आया, कर्मचारी ने उन्हें धक्का देकर लाइन से बाहर किया। महिलाओं और लड़कियों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार दिखा। हालांकि बाद में दूसरे साथी ने टोकन दिखाया तो अंदर जाने दिया गया।