
इस बार चुनावी माहौल थोड़ा अलग है।
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गंगा और यमुना के बीच बसे फतेहपुर जिले की मिट्टी काफी उपजाऊ है। यह जमीन सिर्फ उपज के लिहाज से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी काफी उर्वर है। शायद यही वजह है कि आस-पास के जिलों के भी नेता यहां किस्मत आजमाने की हसरत रखते हैं। हालांकि, इस बार चुनावी माहौल थोड़ा अलग है।
फतेहपुर लोकसभा की आपको सैर कराएं इससे पहले इस सीट की सियासी अहमियत समझना जरूरी है। यहीं से जीतकर वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। यहां के प्रयोगवादी मतदाताओं ने कांग्रेस, भारतीय लोकदल, भाजपा, सपा, बसपा के साथ ही निर्दलीय को भी जिताया और आजमाया। यह भी रोचक है कि 1984 के बाद यहां कांग्रेस का खाता नहीं खुला।
88 फीसदी ग्रामीण आबादी वाले फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र में 85-90 फीसदी हिंदू हैं। मुस्लिम 10-15 फीसदी हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक हिंदू आबादी में 24.75 फीसदी दलित हैं। निषाद और पटेल बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में चुनाव में मुद्दे कम और जातीय समीकरण ज्यादा हावी हैं। भगवा खेमे ने केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को फिर मैदान में उतारा है। साध्वी ने 2014 में 45.99 फीसदी वोट शेयर के साथ यहां भगवा परचम फहराया था। 2019 में 54.24 फीसदी मतों की हिस्सेदारी के साथ उन्होंने दोबारा जीत हासिल कर अपनी दमदारी का एहसास कराया। दूसरी तरफ इंडी गठबंधन से सपा के नरेश उत्तम पटेल (हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटे) उनको चुनौती दे रहे हैं। बसपा के मनीष सिंह सचान इस लड़ाई को रोमांचक और त्रिकोणीय बना रहे हैं।
कानपुर से फतेहपुर जिले में प्रवेश करते ही नेशनल हाईवे के दोनों तरफ दूर-दूर तक गेहूं की फसल कटने के बाद खाली खेत नजर आते हैं। माहौल जानने के लिए हम सबसे पहले औंग कस्बे में पहुंचे। यहां दुकानदार और किसान चुनावी चर्चा में मशगूल मिले। चर्चा के केंद्र में थे-अशोक पटेल। पटेल भाजपा से सांसद रहे और अब सपा में हैं। विवेक कहते हैं, सपा ने अशोक पटेल को टिकट दिया होता, तो बात अलग होती। नरेश उत्तम तो अपने गांव लहुरी सराय तक के लोगों के संपर्क में नहीं थे।
- किसान रामसुख कहते हैं, हमरे खेतवउ क भी कोई सुध लेई। छुट्टा पशु फसल चट कर देत हैं। युवा दीपक बोले, 10 साल में कौन-सी फैक्टरी लग गई। रोजगार मिला नहीं, पेपर लीक हो रहा है। पटेल इस बार एकजुट होकर मतदान करेंगे। बुजुर्ग रामेश्वर ने बहस को दूसरी ओर मोड़ते हुए कहा, साध्वी तो पूरी साध्वी हैं। बहुत अपनेपन से मिलती हैं। इस बार भी निषाद उनके साथ खड़ा है।
दोनों के लिए चुनौती है भितरघात
इस चुनाव में भाजपा और सपा दोनों को भितरघात व बगावत से निपटना होगा। भाजपा के तीन पूर्व विधायकों की बगावत प्रत्याशी को मुश्किल में डाल रही है। वहीं दो बार सांसद रहने के बाद एंटी इन्कंबेंसी से उबरना भी प्रत्याशी के लिए चुनौती है। सपा की बात करें तो यहां भी कम घमासान नहीं है। टिकट पाने में नाकाम रहे दावेदार नाखुश हैं। उनका भितरघात प्रत्याशी को भारी पड़ता दिख रहा है।
- बसपा लड़ाई को दिलचस्प बना रही है। कुर्मी बिरादरी की अच्छी खासी संख्या को देखते हुए बसपा ने डॉ. मनीष सिंह सचान को मैदान में उतारा है। कानपुर के रहने वाले डॉ. सचान का नर्सिंग होम है। बहरहाल वह बिरादरी का कितना वोट अपने पाले में ले आ पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
जहानाबाद : सड़क और सुरक्षा मिली, रोजगार भी चाहिए
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में बस अड्डे के पास चाय की दुकान पर लोग जमे थे। चुनावी चर्चा चली तो शिव कुमार त्रिवेदी ने कहा, क्षेत्र का विकास प्रभावित है। रेलवे लाइन 1965 में पास हुई थी, अब तक काम नहीं हुआ। अनीश कैप्टन बोले, वोट तो संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए ही पड़ेगा। बीच में कूदते हुए नरेंद्र तिवारी बोले, लोकतंत्र लूटने वालों का ही तंत्र खतरे में है। सड़कें भी बनी हैं और सुरक्षा भी बढ़ी है। व्यापारी डॉ. ओम प्रकाश कहते हैं कि इंस्पेक्टर राज से तो मोदी, योगी ने ही मुक्ति दिलाई।
बिंदकी : व्यापार का माहौल तो बना पुल-बाई पास बने तो मिले गति
बिंदकी विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर छोटे व्यापारी हैं। खजुहा तिराहे पर दवा की दुकान चलाने वाले डाॅ. आरके गुप्ता कहते हैं, बिजली पर्याप्त मिलती है। आज कोई उत्पीड़न नहीं करता है। सांसद नाम ही नहीं, व्यवहार में भी साध्वी हैं। युवा रमेश कुमार बोले, क्षेत्र में पढ़ाई के लिए फार्मेसी संस्थान, आईटीआई, डिग्री कॉलेज भी हैं। लोगों को रोजगार मिले तो और बेहतर होगा। डॉ. सौरभ गुप्ता भी उनसे सहमति जताते हुए कहा, चकहाता में कई साल पहले इंडस्ट्री के लिए जमीन चिह्नित की गई थी, लेकिन बनी नहीं। आज वहां गौशाला बन गई है। रुद्र प्रताप सिंह बोले, आज मंडी में धान और फसल का दाम नहीं मिल रहा है।
हुसैनगंज : छुट्टा पशु और पेपर लीक बन रहा मुद्दा
हुसैनगंज विधानसभा क्षेत्र में चौराहे पर मिठाई की दुकान पर मिले बृजलाल विश्वकर्मा चुनावी मुद्दों पर कहते हैं, किसान अपना ताके या खेत… यानी किसान अपनी व परिवार की देखभाल करे या खेत की रखवाली। वोट किधर जाएगा इस सवाल पर तपाक से कहते हैं, वोट तो योगी, मोदी को ही जाएगा। राधेश्याम पटेल कहते हैं, युवा बेरोजगार है, पेपर लीक हो जाता है। सत्ता पक्ष मुद्दों की बात नहीं कर रहा है। सुल्तान भी अपने बेटे की खराब हुई परीक्षा तैयारी का जिक्र करते हुए पेपर लीक को बड़ा मुद्दा बताते हैं।
फतेहपुर सदर : पक्ष-विपक्ष में खूब दलीलें
वरिष्ठ नागरिक वेलफेयर एसोसिएशन कार्यालय में देर शाम तक काफी संख्या में लोग चुनावी चर्चा में मशगूल थे। हम पहुंचे तो आवाज थोड़ी ऊंची हो गई। अध्यक्ष काली शंकर श्रीवास्तव बोले, 18 माह का डीए पड़ा है, रेलवे में छूट मिलती थी खत्म हो गई। किंतु विदेश नीति और राम मंदिर के नाम पर वोट तो मोदी को ही जाएगा।
- अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव और शैलेश श्रीवास्तव ने भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा कि राष्ट्रवाद भी चुनाव में मुद्दा है। क्षेत्र को मेडिकल कॉलेज योगी ने दिया है। ज्ञान प्रकाश उनकी बात काटते हुए बोले, राष्ट्रवाद से पेट नहीं भरता है। बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार पर भी चर्चा होनी चाहिए।
खागा : लड़ाई दुई के बीच म है
खागा विधानसभा क्षेत्र में 42 गांव कुर्मी बहुल हैं। विधानसभा क्षेत्र के नगर पंचायत तुरंग सिंह नगर पहुंचे तो हमें देखते ही महिलाओं, बुजुर्गों ने सोचा कि कोई सरकारी अधिकारी आए हैं। बैठने से पहले ही किसी ने राशन कार्ड न बनने और किसी ने कॉलोनी की समस्या बताई। घूंघट की ओट से 70 साल की सावित्री बोलीं, मोदी जी पिंशिन (पेंशन) देवाय दें। राजेंद्र बोले, देश को मोदी की ही जरूरत है। राम मंदिर, अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे काम करने के लिए। चुनाव पर पूछने पर विष्णु सिंह बोले, लड़ाई दुई के बीच है (सपा, भाजपा)।