अमर उजाला नेटवर्क, हाथरस
Published by: चमन शर्मा

Updated Tue, 02 Dec 2025 10:27 AM IST

जल जीवन मिशन का फाइलों में करीब 75 करोड़ रुपये का भुगतान मंजूरी के इंतजार में है। इस कार्य से जुड़े सरकारी अफसर और लोग बताते हैं कि भुगतान न मिलने के कारण ठेकेदारों ने काम से हाथ खींच लिया है।


Jal Jeevan Mission in Hathras district

गांव मंस्या व बरामई में अधूरा पड़ा ओवरहड टैंक का निर्माण कार्य
– फोटो : संवाद



विस्तार


जल जीवन मिशन के तहत हाथरस जिले के ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गईं 280 परियोजनाएं बजट की कमी के कारण अधर में लटकी हुई हैं। एक वर्ष से लंबित भुगतान न होने के कारण एक कंपनी ने तो 28 परियोजनाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया है। वहीं दूसरी कंपनी की 252 परियोजनाएं कछुआ गति से रेंग रही हैं। पाइपलाइन बिछाने से लेकर टंकियों का निर्माण तक अधूरा है।

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सादाबाद तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत नौगांव, मंस्या, बिसावर और बरामई में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गांव-गांव डाली जा रही पाइपलाइन, भूमिगत जलाशय और टंकियों का निर्माण अब तक अधूरा है। इन गांवों में बीते कई महीनों से कोई कर्मी नजर तक नहीं आ रहा।


फिलहाल एक कंपनी ने अपना कार्य ठप कर दिया है। 28 परियोजनाएं बंद हो चुकी हैं। कर्मचारियों ने कार्यालय पर ताला डाल रखा है। एक कंपनी से कार्य कराया जा रहा है। भुगतान को लेकर उच्चाधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। भुगतान लखनऊ कार्यालय से होना है। -विपिन कुमार, एक्सईन जल निगम ग्रामीण।


विभाग से कई बार पत्राचार किया, लेकिन बजट जारी होने की कोई स्पष्ट समय सीमा नहीं बताई जा रही। उम्मीद थी कि कार्य शुरू होने के बाद पेयजल व्यवस्था सुधार दी जाएगी, लेकिन टंकी और खड़ंजों का काम अधूरा है। -शशि चौधरी, ग्राम प्रधान बरामई, सादाबाद।


जल जीवन मिशन की धीमी रफ्तार का असर गांवों की पेयजल उपलब्धता पर पड़ रहा है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है, ग्रामीण खरीद कर पानी पीने को मजबूर हैं या फिर खारा पानी प्रयोग कर रहे हैं। -जितेंद्र चौधरी, नगला गरीबा।


योजना के तहत गांव में आधा काम करने के बाद छोड़ दिया गया, न तो पानी आ रहा, न सड़क सही हुई हैं। पाइपलाइन डाले जाने के बाद सड़कों को ऐसे ही छोड़ दिया गया है, टंकी का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है।-हरवीर सिंह, मंस्याकला।


कई गांवों में खुदाई के बाद महीनों से पाइप नहीं डाले गए। मिट्टी और मलबा रास्तों पर ही पड़ा है। कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। अफसर सही जवाब तक नहीं दे रहे हैं। -दाऊदयाल, मंस्याकला।


पाइपलाइन डाले हुए महीनों हो चुके हैं, नल भी लग गए हैं, लेकिन आज तक इन नलों से पानी नहीं टपका। जलजीवन मिशन के तहत पाइपलाइन डालकर घर-घर पानी पहुंचाने की योजना सिर्फ कागजों तक सिमट गई है। -अजीत कुमार, नगला छत्ती।


काफी पहले जल निगम ने पाइपलाइन डाली थी, लेकिन आज तक खोदी गई सड़क नहीं बनाई गई है। बरसात के दिनों में इस रास्ते की हालत काफी खराब हो जाती है, कोई सुनवाई नहीं कर रहा। -हरपाल सिंह, नगला बिहारी।


गांव में टंकी भी बन गई, पानी भी चल गया लेकिन जगह-जगह लीकेज होने से घर में पानी नहीं पहुंच पाता है। इस टंकी के बनने का कोई फायदा नहीं हुआ। लोग अभी तक पानी नहीं मिलने से बेहद परेशान हैं। -उमेश शर्मा, नगला बिहारी।



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