हाथरस की कलेक्ट्रेट में तैनात एक बाबू ने वर्ष 2014 से 2020 के बीच डीएम के फर्जी अनुमोदन और ओसी कलेक्ट्रेट के फर्जी हस्ताक्षर से आतिशबाजी निर्माण व भंडारण के 18 लाइसेंस जारी कर दिए। साल 2023 में इसका खुलासा हुआ तो लिपिक को निलंबित कर एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता एक जांच समिति भी गठित की गई। समिति ने लिपिक के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की संस्तुति की, लेकिन यह जांच रिपोर्ट भी दबा दी गई। अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है और 13 दिसंबर को कोर्ट ने इस मामले में डीएम से 15 दिन के भीतर जांच आख्या मांगी है।

अक्तबूर 2024 में जांच पूरी कर समिति ने अपनी रिपोर्ट तत्कालीन जिलाधिकारी को सौंप दी थी। रिपोर्ट के अनुसार लाइसेंसों पर तत्कालीन डीएम के अनुमोदन दर्शाए गए, जबकि उनके संबंध में कोई मूल आदेश या पत्रावली उपलब्ध नहीं पाई गई। इतना ही नहीं, प्रभारी अधिकारी (ओसी) कलेक्ट्रेट के हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए, जिससे इन लाइसेंसों को वैध दिखाने का प्रयास किया गया। नियमों की अनदेखी कर जारी किए गए इन लाइसेंसों से न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि आमजन की सुरक्षा भी खतरे में डाली गई।

अब इस मामले में आवास विकास कॉलोनी निवासी जयकुमार शर्मा ने लिपिक पर रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया है। प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि तत्कालीन न्याय सहायक रामप्रकाश कुलश्रेष्ठ ने जिलाधिकारी के फर्जी व कूट रचित हस्ताक्षर बनाकर जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियों का दुरुपयोग किया और करीब 17- 18 फर्जी आतिशबाजी के लाइसेंस जारी कर दिए। वर्ष 2023 में लाइसेंस धारक नवीनीकरण के लिए पहुंचे तो इसका खुलासा हुआ। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जय हिंद कुमार सिंह के न्यायालय ने डीएम से आख्या मांगने के साथ मामले में सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तिथि नियत की है।


मामला गंभीर है। पत्रावलियों का अवलोकन किया जाएगा। इस मामले में जो भी व्यक्ति संलिप्त हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।-अतुल वत्स , जिलाधिकारी




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