In the name of setting up a public information board distribution of lakhs

घोटाला(सांकेतिक)
– फोटो : अमर उजाला

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विकास खंड हाथरस सदर क्षेत्र के गांवों में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में लगाए गए जन सूचना बोर्ड के नाम पर लाखों रुपये का गोलमाल सामने आया है। सोशल ऑडिट की रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत हुए कार्यों पर बोर्ड लगाने के नाम पर लाखों रुपये निकाले गए हैं, लेकिन इन कार्य स्थलों पर बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। इस मामले के सामने आने के बाद बीडीओ व लेखाकार सहित अन्य कर्मचारी कटघरे में आ गए हैं। सोशल ऑडिट की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से वसूली की कार्रवाई शुरू की गई है।

मनरेगा के तहत ब्लॉक में ग्राम पंचायतों में होने वाले कार्यों में बोर्ड लगाने के नाम पर लाखों रुपये के बंदरबांट का मामला सामने आया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में हुए कार्यों की सोशल ऑडिट रिपोर्ट के बाद यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार ग्वारऊ कलां में 11 कार्यों पर जनसूचना पट लगाने के लिए 5 हजार रुपये की दर से 55000 रुपये एमआईएस में खर्चा दर्शाया गया है, जबकि किसी भी कार्य पर बोर्ड नहीं लगाया गया है। मझोला में पांच कार्यों पर भी जनसूचना पट नहीं गया गया है, जबकि इस कार्य के लिए 25 हजार रुपये का खर्चा दर्शाया गया है। इस क्रम में गांव बरौली में पौधरोपण कार्य, डामर रोड, खेत पर मिट्टी और पोखर से कब्रिस्तान तक मिट्टी कार्य कराया गया है। 

इन सभी कार्य पर न तो बोर्ड लगाए गए हैं, और न हीं एमबी हुई है। बोर्ड लगाने के नाम पर 25 हजार रुपये खर्च किए गए हैं। बेरगांव में मनरेगा के कार्यों पर बोर्ड नहीं लगाए हैं और 20 हजार रुपये खर्च कर दिए गए हैं। कैमार में मनरेगा से हुए तीन कार्यों पर 15 हजार रुपये बोर्ड पर खर्च दिखाए गए हैं, लेकिन बोर्ड नहीं लगे हैं। ग्राम पंचायत कुम्हरई में ग्राम पंचायत में कार्य न करने वाले फर्जी व्यक्तियों को भुगतान किया गया है। वहीं मनरेगा कार्यों पर 24418 रुपये बोर्ड लगाने के लिए निकाले गए हैं, लेकिन बोर्ड नहीं लगे हैं।

सोशल ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार पाई गई कमियों के आधार पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को वसूली किए जाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। -राजेश कुरील, परियोजना निदेशक डीआरडीए



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