
बाजार में एक दुकान पर बिकती मिठाई
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हाथरस में मिलावटखोरी का खेल खुलकर चल रहा है। मिलावटखोर अपने फायदे के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा लिए गए 520 में से 373 नमूने फेल हो गए। विशेषज्ञों का मानना है कि मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से लोगों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इससे अस्पतालों में पेट और किडनी के मरीज बढ़ रहे हैं।
मसालों से लेकर मिठाइयों तक में घातक रसायनों की मिलावट की जाती है। यह मिलावट लोगों की सेहत के लिए काफी नुकसानदाक होती है। दाल को चमकदार बनाने के लिए प्रतिबंधित रंगों की मिलावट की जाती है। मिठाइयों में अतिरिक्त मात्रा में खाद्य रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पनीर और दूध में अलग से फैट मिलाया जाता है। पिछले वित्तीय वर्ष में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने छापेमारी कर 520 नमूने लिए गए। इनमें से 373 नमूने फेल हो गए।
168 मामलों में अदालत से अर्थदंड लगाया गया। 45 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया। इस कार्रवाई से साफ है कि जिले में मिलावट का खेल जोरों पर चल रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से लोगों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इनके सेवन से लोग आंतों, लिवर, किडनी और तंत्रिका तंत्र की क्षति संबंधी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
इन वस्तुओं के नमूने हुए फेल
- दूध
- पनीर
- खोवा
- मसाले
- तेल
मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं। जो नमूने असुरक्षित पाए जाते हैं, उन मामलों में न्यायालय में वाद दायर होता है। मिलावटखोरों के खिलाफ अर्थदंड के साथ कारावास की सजा का भी प्राविधान है। इन मामलों में छह माह के आजीवन कारावास का प्राविधान है। – रणधीर सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा
मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से सहेत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे लोगों में आंतों, लिवर, किडनी और तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। मिलावटखोर अपने फायदे के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं।– डॉ. वरूण चौधरी, फिजीशियन, बागला जिला अस्पताल